जदयू ने प्रगति मेहता को पार्टी से किया निष्कासित, बोले- धानुकों का अधिकार मांगने की मिली सजा
पटना। जातीय गणना की रिपोर्ट को लेकर न सिर्फ भाजपा बल्कि सत्ताधारी के कई नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। वही नाराजगी जाहिर करने वाले नेताओं में एक नाम JDU के पूर्व प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता भी शामिल हैं। बता दे की रिपोर्ट पर अपने धानुक समाज के लोगों की संख्या कम दिखाने पर नाराजगी जाहिर करने पर पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। वही अब इस कार्रवाई को लेकर प्रगति मेहता ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष को सामंती मानसिकता वाला नेता करार दिया है। जदयू के पूर्व प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता ने कहा कि जातिगत गणना में धानुक समाज की संख्या कम दिखाई गई थी, जिस पर मैंने सीएम नीतीश कुमार से इसमें सुधार का आग्रह करते हुए पत्र लिखा था। वही इसी नाराजगी की वजह से बिना किसी नोटिस के अलोकतांत्रिक तरीके से मुझे निष्कासित कर दिया गया। यह तरीका दिखाता है कि JDU में अब सामंती मानसिकता का वर्चस्व है। उन्होंने आहे कहा की अपने निष्कासन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर धानुक समाज के अधिकार की बात करने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा तो भी वे आजीवन धानुक समाज के उत्थान की बात करने में कभी हिचकेंगे नहीं। वही इसके लिए चाहे जो भी सजा मिले, पर सामंती मानसिकता वाले लोगों के सामने कभी झुकेंगे नहीं। प्रगति ने आगे कहा कि जिस अतिपिछड़े समाज की ताकत के बदौलत नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर काबिज हैं, वह समाज अब इनको खटकने लगा है। खासकर धानुक समाज की तरक्की अब उन्हें और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष को अच्छी नहीं लगती, तभी तो जातिगत गणना में धानुक समाज की कम संख्या का मामला उठाया जाना इनको इतना नागवार लगा। ये लोग न्याय के साथ विकास की सिर्फ बात करते हैं, लेकिन न्याय की बात करने पर ये पार्टी से निकाल देते हैं। धानुक समाज इस अन्याय के खिलाफ अब चुप रहने वाला नहीं है। जातिगत गणना में हमारे समाज के साथ अन्याय हुआ है और हम सब इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। वोट हमारा और राज किसी और का यह अब धानुक समाज नहीं होने देगा।