नये सत्र के सभी यूजी और पीजी अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच करेगा पीपीयू, निर्देश जारी
पटना। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने सत्र 2024-25 में स्नातक और स्नातकोत्तर में नामांकित सभी विषयों (जनरल व वोकेशनल) के सभी छात्रों के नामांकन के दौरान दिए गए अंक व प्रमाण पत्रों की जांच का आदेश दिया। फर्जी नामांकन का मामला प्रकाशित होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन आदेश पत्र जारी करते हुए सभी कॉलेजों व विभागों को सभी नामांकन की वैधता जांच करने का निर्देश दिया है। विवि ने कहा है कि अगर इस दौरान अधिक अंक दर्शाते हुए किसी ने नामांकन ले लिया है तो तत्काल उस पर एफआईआर दर्ज करते हुए नामांकन रद्द करने की अनुशंसा विवि को भेजी जाए। वहीं अगर कोई शिक्षक या कर्मचारी इस लापरवाही में सम्मिलित है उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए विवि को सूचित करें। अगर जांच में कोई गड़बड़ी नहीं भी पाई जाती है तब भी कॉलेज को उसकी भी रिपोर्ट विवि को भेजना होगा।
बीडी कॉलेज से मंगाई गयी है नामांकित छात्रों की सूची
बीडी कॉलेज में 70 छात्र-छात्राओं का डॉक्यूमेंट्स जमा होने के बाद भी उनके नामांकन की वैधता को स्वीकृत नहीं करने की वजह से उनका नामांकन सफल नहीं होने का आरोप छात्रों ने लगाया था। कॉलेज का कहना है कि इन छात्रों ने डॉक्यूमेंट्स ही जमा नहीं किये। स्टूडेंट्स वेलफेयर डीन ने बताया कि विवि ने इस संबंध में भी बीडी कॉलेज से नामांकित छात्रों की सूची देने को कहा है । इस संबंध में पीपीयू के स्टूडेंट्स वेलफेयर डीन, प्रो एके नाग ने बताया कि सभी यूजी-पीजी जनरल व वोकेशनल कोर्स में नामांकन के दौरान दिये गये अंक पत्र व प्रमाण पत्रों की जांच और गड़बड़ी पर एफआईआर के निर्देश दिये गये हैं। विवि की नामांकन प्रणाली बिल्कुल ही पारदर्शी है और अगर उसमें किसी व्यक्ति ने अगर किसी भी तरह से छेड़छाड़ की है, जैसा कि जानकारी मिल रही तो विवि उसके प्रति गंभीर है। छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो एके नाग ने सभी प्राचार्यों को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई को कहा है। प्रो नाग के अनुसार विश्वविद्यालय की ओर से पूर्व में भी छात्रों के नामांकन के समय उनके आवेदन में अंकित अंक व मूल अंक से मिलान के बाद ही वैलिडेशन(नामांकन की वैधता को स्वीकृति) का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद भी फॉर्म में अधिक अंक दर्शा कर नामांकन के मामले सामने आए हैं। 19 अक्टूबर तक सत्र 2024-25 में नामांकित सभी स्ट्रीम के छात्रों का उनके मूल अंक प्रमाण पत्र से अंकों की जांच कर िरपोर्ट मांगी गई है। यदि इसमें अंतर पाया जाता है तो तत्काल संबंधित विद्यार्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए नामांकन रद्द करने की अनुशंसा विश्वविद्यालय को करनी है। इस मामले में शिक्षक एवं कर्मचारी की लापरवाही सामने आती है तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए विश्वविद्यालय को सूचित करना है। साथ ही प्राचार्यों को कॉलेज में नामांकित छात्र-छात्राओं के अंकों में कोई गड़बड़ी नहीं मिलता है तब भी इस आशय का पत्र विश्वविद्यालय को भेजना सुनिश्चित करेंगे।