तेजस्वी का जदयू पर हमला, कहा- सीएम के करीबी पुलिस की मदद से बेचते हैं शराब, अवैध हथियारों का करते हैं धंधा
पटना। नेता प्रतिपक्ष इन दिनों कार्यकर्ता संवाद यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा है कि ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के नेता अवैध पिस्तौल और बंदूक बनाने की फैक्ट्री चलाते हैं फिर उन अवैध हथियारों को सरकारी अपराधियों को बेचते हैं।’ ये बातें उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए कही हैं। तेजस्वी यादव का हालिया बयान बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लाने वाला है। उन्होंने जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कड़ा हमला करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के करीबी लोग पुलिस की मदद से राज्य में अवैध शराब और हथियारों का कारोबार चला रहे हैं। तेजस्वी ने यह बयान देते हुए बिहार की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं और इसे लेकर एक राजनीतिक बहस छेड़ दी है। तेजस्वी ने कहा कि सीएम की पार्टी के नेता शराबबंदी के बावजूद तस्करी से अपने घरों में शराब का भंडारण कर फिर पुलिस की मिलीभगत से उसे बेचते हैं। कई पुलिसकर्मियों की हत्या कर चुके अपराधी और कई अन्य जघन्य मामलों में वांछित अपराधी चंद दिन पूर्व सीएम आवास में सीएम से घंटों मिलकर आए हैं। इससे पहले शराब माफिया भी मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मिले थे। जिस कथित अपराधी को पुलिस ने घर में AK-47 रखवाने के जुर्म में गिरफ़्तार किया था, तीन-चार दिन पहले उसी से मिलने सीएम उसके घर गए थे। तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया है कि मुख्यमंत्री बताएं कि क्या यह सत्ता प्रायोजित, सत्ता संपोषित और सत्ता संरक्षित अपराध नहीं है? बिहार में शराबबंदी के बाद से ही राज्य में अवैध शराब का व्यापार एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। सरकार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी, लेकिन इसके बाद भी राज्य में अवैध शराब की तस्करी और इसके वितरण के कई मामले सामने आए हैं। विपक्षी दल, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेरता आ रहा है। इस बार तेजस्वी ने सीधे तौर पर जदयू के कुछ नेताओं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी लोगों पर अवैध शराब के कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाया है। तेजस्वी का कहना है कि यह सब पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है, और सरकार इस पर आंखें मूंदे हुए है। यह बयान उस समय आया है जब बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ शुरू हो रही हैं। ऐसे में तेजस्वी का यह हमला साफ तौर पर राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से देखा जा रहा है। वह लगातार जदयू और भाजपा गठबंधन सरकार को राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर घेर रहे हैं। तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार में कानून का राज नहीं है, और सरकार भ्रष्टाचारियों और अपराधियों को संरक्षण दे रही है। इसके अलावा, तेजस्वी ने अवैध हथियारों के कारोबार का भी मुद्दा उठाया। उनका दावा है कि राज्य में अवैध हथियारों का व्यापार भी बड़ी मात्रा में चल रहा है, और इसमें भी पुलिस और सरकार के करीबी लोग शामिल हैं। यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार लंबे समय से अवैध हथियारों और अपराधों का गढ़ माना जाता रहा है। चुनावों के दौरान खासकर इन हथियारों का इस्तेमाल बढ़ जाता है, और विपक्ष हमेशा इस मुद्दे को उठाता रहा है। तेजस्वी के इस आरोप से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। जदयू ने तेजस्वी के आरोपों को सिरे से खारिज किया है और इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया है। जदयू के नेताओं का कहना है कि तेजस्वी यादव बिना किसी सबूत के सिर्फ आरोप लगा रहे हैं और यह जनता को भ्रमित करने की कोशिश है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा है कि उनकी सरकार कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू कर रही है और किसी भी प्रकार के अपराध या अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगी।हालांकि, तेजस्वी के आरोपों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि बिहार में शराबबंदी और अवैध हथियारों का कारोबार सरकार की नाक के नीचे कैसे चल रहा है। अगर पुलिस इसमें शामिल है, तो यह राज्य की प्रशासनिक क्षमता पर भी सवाल खड़े करता है। तेजस्वी का बयान न केवल जदयू पर बल्कि बिहार की समग्र प्रशासनिक प्रणाली पर भी उंगली उठाता है।इस बयान का चुनावी प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। बिहार में पिछले कुछ वर्षों में कानून व्यवस्था एक प्रमुख मुद्दा रहा है, और जनता इस पर विशेष ध्यान देती है। अगर तेजस्वी के आरोपों का कोई ठोस प्रमाण सामने आता है, तो यह जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।