मसौढ़ी में किसान हत्याकांड के 2 आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, करंट लगाकर ली थी जान
पटना। जिले के मसौढ़ी के डीह इलाके में घटित किसान हत्याकांड ने न केवल एक परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि न्याय प्रक्रिया पर भी कई सवाल खड़े किए। इस हत्याकांड के दो आरोपियों को पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया है। वारदात के 6 महीने तक कोई कार्रवाई न होने पर मृतक के परिजनों को न्याय पाने के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। यह घटना 28 मई 2023 की है, जब डीह गांव के किसान बालेश्वर पासवान सुबह अपने खेत पर काम करने गए थे। उसी दौरान गांव के ही धीरज पासवान, सुदामा पासवान और कृष्ण भगत से पटवन (खेत में सिंचाई) को लेकर विवाद हुआ। बात इतनी बढ़ गई कि तीनों ने मिलकर बालेश्वर पासवान को बुरी तरह पीटा और फिर बिजली का करंट लगाकर उनकी जान ले ली। मृतक की पत्नी पार्वती देवी ने इस घटना की जानकारी मसौढ़ी थाने में लिखित शिकायत के माध्यम से दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस की निष्क्रियता ने पीड़ित परिवार को न्याय से वंचित कर दिया। मजबूर होकर परिवार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद 6 महीने बाद, 8 दिसंबर 2023 को कोर्ट के आदेश पर तीन आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया। बालेश्वर पासवान की हत्या के बाद पुलिस की निष्क्रियता ने पीड़ित परिवार को गहरी निराशा में डाल दिया। पार्वती देवी ने बताया कि उन्होंने बार-बार पुलिस से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उनकी शिकायत को अनसुना कर दिया गया। आखिरकार, कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया और पुलिस को कार्रवाई के आदेश दिए। कोर्ट के आदेश पर हत्या का मामला दर्ज हुआ, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि कमजोर वर्गों के लिए न्याय प्राप्त करना आज भी एक बड़ी चुनौती है और इसमें कानूनी प्रणाली की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कृष्ण भगत और सुदामा पासवान को पुलिस ने डेढ़ साल बाद गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, तीसरा आरोपी धीरज पासवान अभी भी फरार है। पुलिस का कहना है कि उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। आरोपियों की गिरफ्तारी से पीड़ित परिवार को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन परिवार अब भी न्यायिक प्रक्रिया के लंबे सफर के लिए तैयार है। पार्वती देवी का कहना है कि उन्हें अब भी न्यायपालिका पर भरोसा है और वे अपने पति के लिए इंसाफ चाहती हैं। इस घटना ने डीह गांव और आस-पास के इलाकों में गहरा आक्रोश फैलाया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो न्याय प्रक्रिया में इतनी देरी नहीं होती। ग्रामीणों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की है। इस घटना में पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। समय पर शिकायत दर्ज न करना और कार्रवाई में देरी करना, कानून-व्यवस्था में खामियों को उजागर करता है। यह मामला पुलिस की निष्क्रियता और ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय प्राप्त करने की कठिनाई को भी दर्शाता है। कृष्ण भगत और सुदामा पासवान की गिरफ्तारी के बाद, पीड़ित परिवार को उम्मीद है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलेगी। हालांकि, न्याय पाने की इस लंबी प्रक्रिया ने उन्हें यह एहसास जरूर कराया है कि कमजोर वर्गों के लिए न्याय पाना आसान नहीं है। मसौढ़ी किसान हत्याकांड सिर्फ एक हत्या की घटना नहीं है, बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों के प्रति हो रहे अन्याय और सरकारी तंत्र की निष्क्रियता की कहानी भी है। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि यदि न्याय प्रक्रिया में देरी होती है, तो इसका असर पीड़ित परिवार की मानसिक और सामाजिक स्थिति पर कितना गहरा पड़ता है। अब, पुलिस और न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि इस मामले को प्राथमिकता से निपटाए और दोषियों को सख्त सजा दिलाए। इस घटना से यह संदेश भी निकलता है कि कमजोर वर्गों को न्याय पाने के लिए अधिक सशक्त और संगठित होना होगा।