बड़ी मछलियों पर भी हाथ डालने से नहीं कतराती पटना की एसएसपी
पटना। 2006 बैच की बिहार कैडर की आईपीएस गरिमा मलिक ने पटना की SSP के तौर पर पदभार ग्रहण कर ली। वे पटना के SSP की कुर्सी पर बैठने वालीं 55वीं और दूसरी महिला SSP हैं। गरिमा मलिक की गिनती बिहार के ईमानदार और काबिल पुलिस अफसरों में होती है। उनके काम को देखते हुए लोग उन्हें लेडी ‘सिंघम’ भी कहते हैं। 2015 में वे पटना की ग्रामीण एसपी भी रह चुकी हैं। यहीं से उनका ट्रांसफर गया एसएसपी के रूप में हुआ था। इससे पहले वे दरभंगा की एसएसपी रह चुकी हैं। बता दें गरिमा मलिक हरियाणा के फरीदाबाद की रहने वाली हैं। 2005 में अपने पहले ही अटेम्प्ट में गरिमा ने UPSC का एग्जाम क्रैक किया था पर अच्छी रैंकिंग होने के बावजूद सामान्य कोटे से होने की वजह से वे IAS नहीं बन पाईं, उन्होंने दूसरी च्वाइस आईपीएस को चुना और उन्हें बिहार कैडर मिला।
गया रोडरेज कांड से सुर्खियों में रही गरिमा मलिक
बिहार के गया का बहुचर्चित रोडरेज मामला आप सभी को याद होगा, जब इस घटना ने बिहार सरकार की देशस्तर पर खूब किरकिरी की थी। इस मामले में प्रसिद्ध व्यवसायी श्याम सुंदर सचदेव के बेटे आदित्य सचदेव की हत्या मामले में दोषी राकेश रंजन यादव उर्फ रॉकी यादव, उसके चचेरा भाई राजीव कुमार उर्फ टेनी यादव और उसकी मां मनोरमा देवी का सरकारी बॉडीगार्ड राजेश कुमार को दोषी करार दिया था। इस घटना में सत्ताधारी जेडीयू एमएलसी मनोरमा देवी के हत्यारोपी बेटे रॉकी यादव को जेल के सीखचों के पीछे भेजने वाली कोई और नहीं बल्कि गया की तत्कालीन एसएसपी व वर्तमान में नवनियुक्त पटना की एसएसपी गरिमा मलिक ही थी। इस रोडवेज कांड में सत्ताधारी पार्टी के नाम आने के बाद चोरों ओर यही चर्चा होने लगी थी कि इस हाई प्रोफाइल मामले को रफा-दफा कर दिया जाएगा, परंतु अपने ईमानदार व स्वच्छ छवि के लिए जाने जाने वाली एसएसपी गरिमा मलिक ने बिना सत्ता का परवाह किए रॉकी यादव के पिता और जदयू विधान पार्षद पत्नी मनोरमा देवी को गिरफ्तार कर सभी के जुबान पर ताला लगा दिया आज भी रॉकी यादव जेल में कैद है। मालूम हुआ कि गरिमा स्ट्रैटजी भी बढ़िया बनाती हैं। चश्माधारी धीर-गंभीर इस महिला ने आदित्य मर्डर केस के ‘हाई-प्रोफाइल’ आरोपी को पकड़ने के लिए बढ़िया पासे फेंका था।
बड़ी मछलियों पर हाथ डालना था
इस केस में गरिमा मलिक के लिए चैलेंज यह था कि आरोपी मामूली नहीं था। जिस पार्टी की सरकार है, उसी MLC के बिगड़ैल बेटा पर आदित्य सचदेव के रोडवेज में हत्या का आरोप लगा था वहीं रॉकी यादव के पिता व एमएलसी मनोरमा देवी के पति गया के सबसे ज्यादा ‘मसल पावर’ वाले आदमी थे। जिनकी दबंगई के कई किस्से पुलिस की फाइलों में पहले से दर्ज थे। फिर भी न सिर्फ समय पर गिरफ्तारी हुई, बल्कि आरोपी के ‘ताकतवर’ मां-बाप उसे बचाने की कोशिश न कर पाएं, इसका इंतजाम भी कर दिया गया। गया की तत्कालीन एसएसपी गरिमा मलिक ने रॉकी के पिता बिंदी यादव को हिरासत में लिया। ताकि उनकी ओर से जांच प्रभावित करने की आशंका खत्म हो जाए। इससे आरोपियों की पकड़ केस पर कमजोर पड़ गई। जेल में बंद बिंदी बाहर आने के लिए छटपटाते रहे। पुलिस से यहां तक कहा कि मुझे छोड़ दो तो अपने बेटे से सरेंडर करवा दूंगा।
अब रॉकी का पता करना था
अब गरिमा की अगली शिकार थी रॉकी यादव की मां व जदयू एमएलसी मनोरमा देवी। एसएसपी गरिमा मलिक ने इसके लिए मनोरमा देवी पर प्रेशर बनाना शुरू किया। उनके घर पर छापा मारा तो वहां शराब बरामद हुई। एक बच्चा भी नौकर के तौर पर काम करता पाया गया। दो केस और दर्ज हुए। बिहार में शराब बैन हो चुका था। चाइल्ड लेबर एक्ट भी लग गया। जेल के अंदर बिंदी यादव पूरी तरह बैकफुट पर आ गए। उनके पार्टी के नेता भी मनोरमा देवी से किनारा करने लगे। मनोरमा खुद को अकेली महसूस करने लगी। पुलिस के लिए सही मौका था और पुलिस ने बिना देर किए मनोरमा या बिंदी में से किसी से रॉकी का पता उगलवा लिया और पुलिस टीम ने फार्महाउस पहुंचकर उसे धर दबोचा।