बिहार की सरकारी व्यवस्था पर पटना हाईकोर्ट हुआ सख्त, सरकारी अस्पतालों की रिपोर्ट देने का दिया निर्देश
पटना। कोरोना महामारी के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधाभासी हलफनामा पर सख्त नाराजगी जताई है। शिवानी कौशिक और अन्य की जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों को जिले के सरकारी अस्पतालों के हालात का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने गुरुवार को जो जिले के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी। कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ शुक्रवार को इस मामले पर 11:30 बजे सुबह वर्चुअल मोड पर सुनवाई करेगी। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत सभी जिले के सिविल सर्जनों को ऑनलाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है।
पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना का खतरा अभी भी बरकरार है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्योरा देने को कहा था। कोर्ट ने विशेष तौर पर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था। आज जो राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, कार्यरत डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया। उसमें विरोधाभास और जानकारियां सही नहीं थी। एम्स, पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन और एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था। अब इस मामले पर 17 दिसम्बर, 2021को सुनवाई की जाएगी।