सनसनीखेज आरोप: डॉक्टरी सेवा राजनीतिक फायदा के लिए इस्तेमाल कर रही भाजपा, क्या है पूरा मामला
15 दिन इलाज के बाद मीडिया से मुखातिब हुए एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार
पटना एम्स प्रकरण भाजपा के राजनीतिक षड्यंत्र का परिणाम
फुलवारी शरीफ। एआईएसएफ के रार्ष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार सिंह ने भाजपा पर पटना एम्स के डॉक्टरों की सेवा को राजनितीक रूप से इस्तेमाल करने का गंभीर आरोप लगाया है। भाजपा के राजनीतिक षड्यंत्र के खिलाफ जनता के बीच जाकर व्यापक अभियान एआईएसएफ चलायेगा। इनके राजनीतिक बहकावे में कोई डॉक्टर या मेडिकल स्टूडेंट्स (मेडिकोज) नहीं फंसे। आईजीआईएमएस में मेडिकोज पर लाठीचार्ज का मसला रहा हो या फिर पीजी मेडिकल काउंसिल में पीएमसीएच के विद्यार्थियों के पीटे जाने का सवाल रहा हो, हर जगह सबसे पहले एआईएसएफ ने जाकर न्याय के पक्ष में उनके साथ एकजुटता पेश की है। पूरे मसले में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के इशारे पर जाल बुना गया है। मंगल पांडेय के उतेजक बयान के बाद ही 16 अक्टूबर को कन्हैया कुमार के ऊपर जानलेवा हमला किया गया और उनके गाड़ी के शीशे तोड़ गए। ये बातें एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार ने 15 दिनों बाद पटना एम्स से लौटने के बाद आज जनशक्ति प्रेस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा।
वामपंथी नेता सुशील ने इन हमलों को भाजपा का संगठित हमला बताते हुए कहा कि दरअसल सीपीआई द्वारा 25 अक्टूबर को गांधी मैदान में भाजपा हराओ देश बचाओ रैली की तैयारियों की सफलता देखकर ही भाजपा नेताओं की थरथराहट बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि तैयारियों के दरम्यान ही रोहतास से एक बड़ी सभा कर कन्हैया कुमार उस दिन पटना एम्स मुझसे मिलने आए थे। राज्य सरकार द्वारा लाठीचार्ज के दरम्यान उनका दाहिना कंधा 5 बार तोड़ा गया था। डॉक्टरों की सलाह पर आॅपरेशन करना तय किया और एम्स द्वारा काफी टालमटोल के बाद दिए गए डेट के अनुसार हॉस्पिटल में भर्ती हुए। भर्ती होने के पहले ही दिन से आने वाले परिजनों एवं मिलने बाले लोगो से भेदभाव शुरू था। इसी क्रम में 14 अक्टूबर को संध्या 7 बजे जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व एआईएसएफ के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य कन्हैया कुमार मुझसे मिलने पटना एम्स मिलने आये। उन्होंने बताया कि इस पूरे मसले में भाजपा ने डॉक्टरी जैसे सम्मानित पेशा को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया है, ठीक वैसे हीं जैसे इन लोगों ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में वकीलों के वेश में कन्हैया पर हमला कर जान मारने की कोशिश की थी। पटना एम्स में उस दिन कन्हैया को घेर कर मारने की साजिश रची गई थी। उस दौरान पटना एम्स में कार्यरत एक इंटर्न अवनीश पांडेय ने उन्हें एंटी नेशनल कह कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। एम्स पटना के अधिकारिक पेज से एंटी नेशनल कन्हैया कुमार कहे जाने का प्रिंट संवाददाता सम्मेलन के दौरान पत्रकारों को दिया। जब वो कन्हैया को जान मारने की साजिश में कामयाब नहीं हुए तब उन्होंने मारपीट का दुष्प्रचार कर डॉक्टरों को कन्हैया के खिलाफ गोलबंद कर फुलवारी थाने में कन्हैया एवं मुझ पर झूठा मुकदमा किया गया। जबकि बाहर में मारपीट का दुष्प्रचार करने वालों ने झूठा मुकदमा कर दुर्व्यवहार का जिक्र किया है। एम्स में सौ आदमी के साथ जाने की बात भी भ्रामक है। घटना के दो दिन पहले किसी अन्य मरीज को देखने पहुंचे बीजेपी नेता रामकृपाल यादव के साथ 35-40 लोग जरूर थे। घटना के अगले दिन 15 अक्टूबर को मेरी ड्रेसिंग होनी थी लेकिन 15 अक्टूबर को ही हड्डी विभाग में ही कार्यरत डॉक्टर रवि सिंह ने मुझे बर्बाद करने, जान मरने की धमकी दी। डॉ. रवि सिंह ने कहा कि तुम्हारा ड्रेसिंग कोई नहीं करेगा, तुम्हारा नाम काट कर आज ही निकाला जाएगा। उस दिन धमकी के बाद ड्रेसिंग तो नहीं हुई, इलाज भी बंद कर दिया गया। शाम में सूचित किया गया कि कल आपका नाम कट जाएगा जिसकी जानकारी अहले सुबह व्हाटसअप के माध्यम से फुलवारी थानाध्यक्ष से लेकर पटना जोनल आईजी तक को दी गयी। जिसके बाद फुलवारी डीएसपी ने एम्स के मेडिकल अधीक्षक से बात की और 16 अक्टूबर को ही अधीक्षक की पहलकदमी पर मेरा ड्रेसिंग एवं इलाज शुरू हुआ। धमकी देने वाले डॉक्टर के खिलाफ अभी तक पुलिस कोई कार्यवायी करने से बच रही है। जबकि डीएसपी फुलवारी के निर्देश पर डॉक्टर रवि सिंह के खिलाफ हस्ताक्षर किया हुआ आवेदन फुलवारी थानाध्यक्ष को पुन: तीन दिन पहले दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 25 अक्टूबर को गांधी मैदान में आयोजित रैली को कन्हैया कुमार संबोधित करेंगे। एआईएसएफ नेता ने कहा कि इन हमलों का मुकाबला एआईएसएफ हर स्तर पर करेगा और इस मसले को लेकर जनता के बीच जाकर बीजेपी के षड्यंत्र को एक्सपोज करेगा। पूरे राज्य भर में फैले एआईएसएफ के साथियों को 25 अक्टूबर की रैली में आने की अपील की। संवाददाता सम्मेलन में एआईएसएफ के राज्य अध्यक्ष रंजीत पंडित, राष्ट्रीय परिषद सदस्य अनुष्का आर्या, पटना जिला सचिव जनमेजय कुमार, राज्य परिषद् सदस्य अफरोज आलम, राहुल कुमार मौजूद थे।