कैंसर पीडितों के लिए कैलाश खेर का म्यूजिक कंसर्ट आज
पटना। फेमस पॉप रॉक सिंगर पद्मश्री कैलाश खेर ने आज पटना में एक संवादददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि बिहार गुणियों और मनीषियों की धरती है। यहां कैंसर जैसे भयंकर बीमारी के खिलाफ ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन जैसी संस्था के नेक और पुण्य कार्य, सोने पर सुहागा जैसा है। क्योंकि कैंसर से जागरूकता बेहद अहम है। इसलिए मैं लोगों को यहां जागरूक करने आया हूं। होटल लेमन ट्रीट में पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि रोग है तो इलाज होगा ही, मगर जानना भी त्राणना होता है। अगर आपको जानकारी हो तो आप सावधान हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा कुमार ने एक बड़ा बीड़ा उठाया है और इससे हमको जोड़ा है। इसलिए हम पटना वासियों के लिए गाने आये हैं। हम लाइव कंसर्ट के जरिये लोगों में जागरूकता लाने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि आप भी जानिये और अपने आस पास के लोगों को भी जोडिये ताकि वे इस बीमारी से जानकारी लेकर अपनी जिंदगी का बचाव कर सकें। हम आपके जरिये कैंसर पीडि़त लोगों के लिए संदेश दे रहे है, जो दूर – दूर तक लोगों तक फैल जायेंगे। और हर लोगों को अपने स्तर से जागरूकता के लिए प्रयास करना चाहिए।
संवाददाता सम्मेलन में गंगा कुमार ने कहा कि शनिवार को बिहार : एक विरासत कला एवं फिल्म महोत्सव 2018 के समापन समारोह के दौरान बापू सभागार में ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन द्वारा कैंसर पीडि़तों की मदद के लिए पद्मश्री कैलाश खेर का एक म्यूजिकल कंसर्ट आयोजित किया गया है। इस कंसर्ट का मकसद कैंसर मरीजों के लिए फंड जमा करना है। यही वजह है कि इस कंसर्ट का नाम फंड राइजिंग कंसर्ट रखा गया है। इसलिए लोगों से अपील है कि कैंसर पीडि़तों की मदद के लिए आगे आयें।
गौरतलब है कि ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन अपने कैंसर जागरूकता के अलावा अपने सामाजिक कार्य क्षेत्र के अंतर्गत ‘बिहार : एक विरासत’ के माध्यम से बिहार के लुप्त हो रहे सांस्कृतिक, पारंपरिक एवं बिहार के विरासत को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक और जागरूकता अभियान चलाता रहा है। बिहार भाषा एवं संस्कृति के दृष्टिकोण से पांच भागों में विभाजित है – अंगिका, वज्जिका, मगही, भोजपुरी और मैथिली। इन पांचों की संस्कृति भी विविधताएं हैं। जैसे भोजपुर का चैता, कजरी, सोहर एवं कटनी नृत्य और मगध का देवाश एवं छठ पूजा विश्वभर में प्रसिद्ध है। अंग प्रदेश में बिहुला विषहरी लोक गाथा और मिथिला में राम विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले संस्कार वाले गीतों का अपना ही महत्व है।