PATNA : कोरोना का कहर भी नहीं रोक पाया भाई-बहन का प्यार, बहनें जमकर की राखी की खरीदारी
पालीगंज। सोमवार को रक्षाबंधन का त्योहार है। जिसको लेकर पटना जिला के पालीगंज अनुमंडल के सभी चौक-चौराहों पर राखियों की अनेकों दुकानें रंग-बिरंगी राखियों से सजी हुई है। लेकिन कोरोना की कहर के बावजूद भी भाई के लिए राखियां खरीदने को बहनों की भीड़ इन दुकानों पर उमड़ पड़ी है।
वहीं दुकानों में एक रुपये से लेकर दो सौ रुपये तक की राखियां सजी हुई है। दुकानों पर विभिन्न प्रकार के चाइनीज राखियां भी अपने जलवे दिखा रहा है। ये रंग-बिरंगे राखियां सभी खरीदारों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। कुछ राखियां छोटी है तो कुछ आकार में बड़ी है। वहीं सभी बहनें अपनी क्षमता के अनुसार भाई के लिए सस्ती व महंगी राखियां खरीद रही हैं, साथ ही सभी बहने रोड़ी, चंदन के अलावे भाई की आरती उतारने के लिए अन्य सामग्री खरीद रही हैं।
राखी बिक्रेता पिंटू कुमार उर्फ राहुल कहते हैं कि राखी की खरीदारी 15 दिनों पूर्व से चल रही है। कुछ बहनें राखियां खरीदकर दूरदराज में नौकरी कर रहे अपने भाइयों को डाक द्वारा भेज दी है। वहीं दुकानदार राहुल कुमार ने बताया कि इस वर्ष राखी खरीदने दुकान पर आई कुछ लड़कियों ने बताई कि मैं कुछ राखियां उन फौजी भाईयों के नाम से रजिस्ट्री कर रही हूं, जो जान पर खेलकर हम मां-बहनों की हिफाजत के लिए कोरोना जैसे महामारी के बीच सीमा पर तैनात हैं।
वहीं राखी खरीदने 10 किलोमीटर दूरी तय कर मेरा गांव से पालीगंज पहुंची पूनम कुमारी ने बताई कि मेरी शादी खपुरा गांव में हुई है। लेकिन भाई का प्रेम मुझे प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के दिन मैके में खींच लाती है। वही धरहरा गांव के रिंकू, सिवानी, मेरा गांव के सन्तोषी, शिम्पी व अमरावती ने बताई कि यह भाई-बहनों के बीच अटूट प्रेम का पर्व है। इस दिन अपने भाई की सलामती के लिए राखी बांधी जाती है।
राखी बांधने का प्रचलन
राखी बांधने का प्रचलन युगों-युगों से चली आ रही है। धार्मिक ग्रथों में वर्णित कथाओं के अनुसार, त्रेता युग के महाभारत काल में जब भगवान कृष्णा ने अधर्मी शिशुपाल का वध किया था तो उस समय कृष्णा की उंगली चक्र से कट गयी थी, जिससे रक्त निकल रहा था। रक्त निकलता देख द्रौपदी ने अपना पल्लू फाड़ कृष्णा के अंगुली से बहती रक्त को रोक दी थी। तबसे कृष्णा ने द्रौपदी को अपनी बहन स्वीकार किया था। जिसकी लाज कृष्णा ने चिरहरण के दौरान हस्तिनापुर की राजसभा में बचाई थी।
वहीं भारतीय इतिहास में वर्णित कथाओं के अनुसार गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चितौड़ पर आक्रमण किया था तो चितौड़ के राजपूत राजा की विधवा रानी कर्णावती अपने आपको असहाय पाकर दिल्ली के सुल्तान हुमायूं को राखी भेजकर सहायता मांगी थी। वही हुमायूं ने भी रानी कर्णावती को बहन स्वीकार कर अपनी सेना भेज उसकी रक्षा किया था। उसी समय से सभी बहनें अपनी भाई की कलाई पर राखी बांधती है व भगवान से अपने भाई की सलामती की दुआ मांगती है। वहीं भाई भी अपनी बहन की रक्षा का प्रण लेता है। यह भाई बहन के बीच श्रद्धा व प्रेम का त्योहार है, जिसे भारत के अलावे अन्य कई देशों में मनाई जाती है।