दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ेगी मांझी की पार्टी, 23 को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लगेगी अंतिम मुहर
- 12 रिजर्व सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में मांझी….बीजेपी का खेल करेंगे खराब….बवाल तय
पटना। बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान रखने वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) पार्टी अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहुंच बढ़ाने की तैयारी में है। पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी ने संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतार सकती है। इस विषय पर अंतिम निर्णय 23 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली हम पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लिया जाएगा।
दिल्ली की आरक्षित सीटों पर नजर
हम पार्टी की रणनीति दिल्ली की 12 आरक्षित सीटों पर उम्मीदवार उतारने की है। पार्टी का मानना है कि आरक्षित सीटों पर उसका प्रभाव बेहतर हो सकता है, खासकर तब जब पार्टी ने बिहार विधानसभा उपचुनाव में इमामगंज की सीट पर शानदार जीत दर्ज की है। इस जीत से पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा है, और अब वह राष्ट्रीय राजनीति में अपने कदम मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है।
झारखंड में असफलता, लेकिन दिल्ली में नई उम्मीद
झारखंड विधानसभा चुनाव में हम पार्टी ने 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई थी। हालांकि, भाजपा के साथ सहमति न बनने के कारण यह योजना साकार नहीं हो सकी। इसके बावजूद बिहार में इमामगंज सीट पर जीत ने पार्टी को नई ऊर्जा दी है। पार्टी के नेता मानते हैं कि दिल्ली जैसे महानगरों में आरक्षित सीटों पर दलित और पिछड़े वर्ग का समर्थन हासिल कर पार्टी अपनी राष्ट्रीय पहचान बना सकती है। इसके अलावा, पार्टी ने केरल, कर्नाटक, तेलंगाना जैसी जगहों पर भी आरक्षित सीटों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है।
जीतनराम मांझी का राजनीतिक सफर, उतार-चढ़ाव से प्रेरणा तक
जीतन राम मांझी का राजनीतिक सफर हमेशा सुर्खियों में रहा है। 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे मांझी को नीतीश कुमार ने यह पद सौंपा था। लेकिन, कुछ ही महीनों बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। नीतीश कुमार और मांझी के बीच का टकराव किसी से छिपा नहीं है। खुद नीतीश ने एक बार कहा था, “ये मेरी मूर्खता थी कि मैंने इन्हें मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद भी मांझी ने हार नहीं मानी। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन मिलने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी को नई दिशा दी। 2024 में गया लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर मांझी न केवल सांसद बने, बल्कि केंद्रीय मंत्री पद भी हासिल किया। उनके बेटे संतोष सुमन वर्तमान में बिहार सरकार में दो महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाल रहे हैं।
जेडीयू में विलय का दबाव और मांझी का इनकार
पांच महीने पहले तक हम पार्टी पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में विलय का दबाव था। लेकिन, मांझी ने स्पष्ट इनकार कर दिया। इस फैसले के बाद उनके बेटे संतोष मांझी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बावजूद मांझी ने अपने फैसले पर अडिग रहकर पार्टी को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाने की रणनीति अपनाई।
राष्ट्रीय राजनीति में कदम बढ़ाने की तैयारी
हम पार्टी की नजर केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है। पार्टी ने केरल, कर्नाटक, और तेलंगाना जैसे राज्यों में आरक्षित सीटों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की योजना बनाई है। यह कदम दलित और पिछड़े वर्गों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।
23 दिसंबर की बैठक का महत्व
23 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के आगामी चुनावी एजेंडे पर चर्चा होगी। यह बैठक केवल दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि पार्टी के दीर्घकालिक रणनीति और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण होगी।
हम पार्टी की नई शुरुआत
जीतन राम मांझी के नेतृत्व में हम पार्टी ने बिहार की सीमाओं से बाहर निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाने का निर्णय लिया है। दिल्ली की आरक्षित सीटों पर फोकस और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन इस बात का संकेत है कि पार्टी अपनी रणनीति को लेकर गंभीर है। दिल्ली में अगर हम पार्टी को सफलता मिलती है, तो यह न केवल बिहार की राजनीति में उसकी स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उसकी साख को बढ़ाएगा। अब देखना यह है कि 23 दिसंबर को होने वाली बैठक में पार्टी किन महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर लगाती है और उसका आगामी चुनावी सफर कैसा रहता है।