पटना में डोमिसाइल नीति को लेकर पारा मेडिकल छात्रों का प्रदर्शन, कारगिल चौक पर जमकर की नारेबाजी

पटना। बिहार की राजधानी पटना में सोमवार को पारा मेडिकल छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना था कि सरकारी नौकरियों में स्थानीय उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और इसके लिए डोमिसाइल नीति लागू की जानी चाहिए। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने कारगिल चौक पर जमकर नारेबाजी की और विधानसभा की ओर कूच करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने जेपी गोलंबर पर उन्हें रोक दिया।
छात्रों की मांग: सरकारी नौकरियों में मिले स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता
पारा मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष भारत भूषण ने बताया कि यह आंदोलन लंबे समय से चल रहा है, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा, हम लगातार अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही। हमारी सबसे बड़ी मांग यह है कि पारा मेडिकल की बहाली में डोमिसाइल नीति लागू की जाए, जिससे बिहार के स्थानीय छात्रों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिले। डोमिसाइल नीति का मतलब यह है कि किसी राज्य में सरकारी नौकरी के लिए वहां के स्थानीय उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाती है। छात्रों का कहना है कि कई अन्य राज्यों में यह नीति पहले से लागू है, जिससे वहां के स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियों में अधिक अवसर मिलते हैं। बिहार में भी इसे लागू करने की जरूरत है ताकि यहां के छात्र बाहर के उम्मीदवारों की तुलना में पीछे न रह जाएं।
विधानसभा घेराव की कोशिश, पुलिस ने रोका
प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों पारा मेडिकल छात्र सोमवार को कारगिल चौक से विधानसभा की ओर कूच कर रहे थे। लेकिन पुलिस ने जेपी गोलंबर के पास उन्हें रोक दिया। पुलिस के रोकने के बाद भी छात्रों ने नारेबाजी जारी रखी और सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। छात्रों का कहना था कि अगर उनकी मांगों को जल्द से जल्द नहीं माना गया, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।
छात्रों की अन्य मांगें
पारा मेडिकल छात्रों की सिर्फ डोमिसाइल नीति ही नहीं, बल्कि अन्य कई मांगें भी हैं। उनका कहना है कि बिहार में सरकारी अस्पतालों में पारा मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। कई पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार उन्हें भरने की दिशा में गंभीर नहीं दिख रही। बिहार में कई पारा मेडिकल कॉलेजों की हालत खराब है, वहां सुविधाओं का अभाव है। कई छात्रों का कहना है कि उनके सर्टिफिकेट की मान्यता में देरी होती है, जिससे उन्हें नौकरी पाने में कठिनाई होती है।
सरकार की प्रतिक्रिया
इस प्रदर्शन पर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि बिना अनुमति के किसी भी प्रदर्शन को विधानसभा तक जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, इसलिए छात्रों को बीच में ही रोक दिया गया।
क्या है डोमिसाइल नीति और क्यों हो रही है इसकी मांग?
डोमिसाइल नीति का अर्थ है कि किसी राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए वहां के स्थायी निवासियों को प्राथमिकता दी जाए। इस नीति से बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों की तुलना में स्थानीय छात्रों को अधिक अवसर मिलते हैं। बिहार के पारा मेडिकल छात्र इसी नीति की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बाहरी राज्यों के उम्मीदवार सरकारी नौकरियों में ज्यादा स्थान ले लेते हैं, जिससे बिहार के छात्रों को नुकसान उठाना पड़ता है। पटना में पारा मेडिकल छात्रों का यह प्रदर्शन बिहार के युवाओं की बढ़ती असंतोष की भावना को दर्शाता है। सरकारी नौकरियों में स्थानीय उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने की उनकी मांग जायज लगती है, क्योंकि कई अन्य राज्यों में यह नीति पहले से लागू है। हालांकि, सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाना होगा और छात्रों की मांगों पर विचार करना होगा, ताकि वे अपने भविष्य को लेकर असमंजस में न रहें। यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।

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