December 23, 2024

विपक्ष की महाबैठक खत्म : वन अगेंस्ट वन के फॉर्मूले को लेकर बनी रणनीति, अगस्त में शिमला में होगी अगली बैठक

  • नीतीश को विपक्ष का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई, आप ने अध्यादेश पर मांगा समर्थन

पटना। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मजबूत मोर्चेबंदी के लिए 15 भाजपा विरोधी दलों का पटना में महाजुटान हुआ। सीएम नीतीश कुमार के आवास पर करीब पौने चार घंटे तक विपक्ष की बैठक चली। बैठक में नीतीश को गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई है, लेकिन फैसला अगली बैठक में होगा। अगली बैठक अगस्त में शिमला में हो सकती है। पटना की बैठक की शुरुआत में ही ममता बनर्जी ने नेताओं से महत्वाकांक्षा का त्याग करने की बात करके मीटिंग का टोन सेट कर दिया कि सबको कुर्बानी देनी होगी तभी विपक्ष एकजुट हो सकेगा। बैठक की शुरुआत में ही ममता बनर्जी ने नेताओं से महत्वाकांक्षा का त्याग करने की बात करके मीटिंग का टोन सेट कर दिया कि सबको कुर्बानी देनी होगी तभी विपक्ष एकजुट हो सकेगा। ममता ने कल लालू यादव से मुलाकात के बाद भी कहा था कि एक के खिलाफ एक लड़ेगा जो नीतीश के वन अगेंस्ट वन के फॉर्मूला को टीएमसी का समर्थन माना जा रहा है। बैठक में जहां शिवसेना यूबीटी के उद्धव ठाकरे ने दिल्ली के अध्यादेश को लेकर अरविंद केजरीवाल की आप को समर्थन देने की बात उठाई वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल से धारा 370 पर आप का रुख साफ करने को कहा। केजरीवाल ने अपने भाषण में दिल्ली सरकार के अधिकार को लेकर केंद्र के अध्यादेश की चर्चा की और राज्यसभा में सबका समर्थन मांगा। विपक्षी बैठक में जेडीयू से नीतीश कुमार, ललन सिंह, संजय झा के अलावा कांग्रेस पार्टी से मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, आरजेडी से लालू यादव, तेजस्वी यादव, मनोज झा, एनसीपी से शरद पवार, सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल, सीपीएम से सीताराम येचुरी, सपा से अखिलेश यादव, शिवसेना यूबीटी से उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत, जेएमएम से हेमंत सोरेन, टीएमसी से ममता बनर्जी, अभिषेक बनर्जी, डेरेक ओ ब्रायन, डीएमके से एमके स्टालिन, टीआर बालू, आप से अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, संजय सिंह, राघव चड्ढ़ा, पीडीपी से महबूबा मुफ्ती, सीपीआई से डी राजा, सीपीआई एमएल से दीपांकर भट्टाचार्य समेत अन्य नेता मौजूद रहे। बीजेपी के खिलाफ मजबूत विपक्षी मोर्चेबंदी को लेकर पहली बार पटना में बैठक हुई, जिसमें 15 दलों के नेता शामिल हुए। विपक्षी नेता साथ तो बैठ गए, लेकिन उनके बीच कई मुद्दों पर विरोधाभास देखे गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस पर सवाल उठाए। वहीं, उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के फैसले पर केजरीवाल से अपना रुख साफ करने को कह दिया। इसी तरह ममता बनर्जी ने भी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के रवैये पर नाराजगी जताई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने क्षेत्रीय नेताओं को राज्यों में नेतृत्व देने की मांग की। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इन मुद्दों पर अगर बात नहीं बनी तो सभी दल एकजुट होकर 2024 में साथ कैसे लड़ेंगे। वहीं विपक्षी दलों की अगली बैठक अगस्त में दिल्ली या शिमला में होने की संभावना है. इसमें सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बात होगी. वहीं नीतीश कुमार को संयोजक बनाकर विपक्ष ने नीतीश की उस कवायद को उनके ही कंधों पर सौपा है जिससे भाजपा को हराया जाए. वहीं इस बैठक में कामन मिनिमम प्रोग्राम बनाने की चर्चा हुई है। सभी दल बीजेपी को 2024 रोकने के लिए सहमत हैं। वही विपक्षी गठबंधन के लिए किसी को संयोजक बनाने की आवश्यकता जतायी गई है। जिसके लिए नीतीश कुमार के नाम की चर्चा है।

जानकारी के अनुसार, 543 सदस्यीय लोकसभा में, इन दलों की संयुक्त ताकत 200 से भी कम है। लेकिन उनके नेताओं को उम्मीद है कि वे मिलकर भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव में 100 सीटों से कम पर समेट देंगे। फिलहाल लोकसभा में भाजपा की सीटों की संख्या 300 से अधिक है। भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस ने पिछले संसदीय चुनाव में 50 से कुछ अधिक सीटें जीती थीं। 2014 में उसने केवल 44 सीटें जीती थीं, जो उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था। वही हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में अपनी सफलताओं और राहुल गांधी की “भारत जोड़ो यात्रा” को मिली जोरदार प्रतिक्रिया से उत्साहित कांग्रेस को 2024 के आम चुनाव में मजबूत वापसी की उम्मीद है। बैठक में शामिल दो दल, राजद और भाकपा माले पिछले लोकसभा चुनाव में एक भी सीट जीतने में असफल रहे थे। हालांकि दोनों ने एक साल बाद हुए बिहार विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। अब उन्हें उम्मीद है कि अगले लोकसभा चुनाव में भी वह अच्छा प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही अन्य दलों में, केवल तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और जद (यू) ने पिछले आम चुनाव में दोहरे अंक में सीटें हासिल की थीं। शिवसेना ने 18 सीटें जीती थीं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कितने सांसद, विपक्षी एकता की वकालत करने वाले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ बने रहेंगे। वही बैठक में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के रुख को लेकर नाराजगी जाहिर की है।

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