संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाना दलित व आदिवासी समाज के साथ-साथ महिलाओं का अपमान : उमेश कुशवाहा
पटना। नई दिल्ली 28 मई को PM मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं लेकिन इससे पहले उद्घाटन को लेकर देश में सियासी संग्राम छिड़ गया है। बता दे की देशभर के 21 राजनीतिक दलों ने उद्घाटन का बहिष्कार कर दिया है और समारोह में शामिल नहीं होने का एलान कर दिया है। वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने कहा है कि वह एक आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके खिलाफ अनशन करेगी। दरअसल, नए संसद भवन का उद्घाटन से कांग्रेस, JDU और RJD समेत विपक्ष के 21 दलों ने उद्घाटन समारोह से दूरी बना ली है। उनका कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री से नहीं कराकर राष्ट्रपति से कराया जाए। वही आगे JDU ने कहा है कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाना दलित, आदिवासी समाज के साथ-साथ महिलाओं का अपमान है और JDU इस अपामान को बर्दाश्त नहीं करेगी। बिहार JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा है कि इसके खिलाफ JDU के नेता और कार्यकर्ता 28 मई को बाबा साहब की प्रतिमा के नीचे बैठकर अनशन करेंगे।
वही JDU प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति संसदीय प्रणाली के अहम अंग होते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव सिर्फ भाजपा के वोट से नहीं हुआ है बल्कि सभी दलों के लोगों ने उनके समर्थन में वोट किया था। राष्ट्रपति किसी एक दल के नहीं होते हैं। भाजपा संसदीय प्रणाली को खत्म करने की कोशिश कर रही है। आज जिस तरह से इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। आगे उन्होंने कहा की संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से नहीं कराकर प्रधानमंत्री से कराना कहीं से भी उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि देश बाबा साहब के सिद्धांतों से चलेगा न कि नरेंद्र मोदी के संविधान से चलेगा। ऐसा काम करने वालों को देश की जनता संविधान से ही मिटा देगी। JDU इसके खिलाफ 28 मई को पटना हाईकोर्ट के पास स्थित बाबा साहेब की प्रतिमा के समक्ष अनशन करेगी और इसके माध्यम से विरोध जताएगी। अनशन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत तमाम पदाधिकारी और नेता मौजूद रहेंगे।