December 18, 2024

बिहार में अब जमीन मापी के लिए ऑनलाइन आवेदन, जमाबंदी संख्या की जरूरत नहीं, लोगों को मिली बड़ी राहत

पटना। बिहार में भूमि मापी प्रक्रिया को डिजिटल और सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीन की ई-मापी के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाने का निर्णय लिया है। अब आवेदकों को जमीन मापी के लिए जमाबंदी संख्या की आवश्यकता नहीं होगी। विभाग के सचिव जय सिंह ने बुधवार को विभाग की योजनाओं की समीक्षा के दौरान इस नई सुविधा की घोषणा की। यह कदम किसानों और आम जनता के लिए राहत भरा साबित होगा।
जमाबंदी संख्या की अनिवार्यता समाप्त
भूमि की ई-मापी के लिए अब तक जमाबंदी संख्या एक आवश्यक दस्तावेज थी। कई बार इस संख्या के अभाव में लोगों को आवेदन करने में परेशानी होती थी। लेकिन अब आवेदक बिना जमाबंदी संख्या के भी अपनी जमीन की मापी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। सचिव जय सिंह ने बताया कि इस सुविधा को जल्द ही विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर में बदलाव किए जा रहे हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षा बैठक में जमीन से जुड़ी अन्य ऑनलाइन सेवाओं की भी समीक्षा की गई। इनमें ई-मापी, भू-अभिलेख पोर्टल, भू-समाधान, भू-संपरिवर्तन, ऑनलाइन लगान, दाखिल-खारिज और अंचल निरीक्षण की व्यवस्थाएं शामिल थीं। सचिव ने निर्देश दिया कि सरकारी भूमि, न्यायालय के आदेश, विधि-व्यवस्था से जुड़े मामलों और लोक शिकायत से जुड़े मामलों की मापी को भी ऑनलाइन प्रक्रिया में जोड़ा जाए। इसके अलावा, जिलावार औसतन प्रति अमीन मापी मामलों की संख्या में वृद्धि करने पर भी जोर दिया गया। वर्तमान में प्रति अमीन औसतन तीन मापी मामलों का निपटारा हो रहा है। सचिव ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि मापी के मामलों को तेजी से निपटाने के लिए संसाधनों और प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग किया जाए।
सरकारी भूमि के अभिलेख होंगे ऑनलाइन
समीक्षा बैठक में सरकारी भूमि के अभिलेखों को ऑनलाइन करने का भी निर्णय लिया गया। इससे सरकारी जमीनों की पारदर्शिता और प्रबंधन में सुधार होगा। सचिव ने कहा कि जिलावार औसत मापी मामलों की संख्या में वृद्धि की जाएगी और सरकारी भूमि से संबंधित सभी अभिलेख ऑनलाइन किए जाएंगे।
किसानों और आम जनता के लिए बड़ी राहत
यह नई प्रक्रिया किसानों और आम जनता के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी। पहले, जमीन मापी कराने के लिए उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। जमाबंदी संख्या के अभाव में आवेदन प्रक्रिया अटक जाती थी। इसके अलावा, प्रक्रिया की जटिलता और समय लेने वाली प्रकृति भी एक बड़ी समस्या थी। अब, ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में सुधार से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
ड्रॉपडाउन मेन्यू में नई सुविधाएं शामिल
सचिव ने निर्देश दिया कि सरकारी भूमि, न्यायालय के आदेश, और विधि-व्यवस्था से जुड़े मामलों को भी वेबसाइट के ड्रॉपडाउन मेन्यू में जोड़ा जाए। इससे इन मामलों में मापी की प्रक्रिया और तेज हो सकेगी। इन मामलों में अक्सर देरी होती थी, लेकिन अब इन्हें प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा।
ऑनलाइन सेवाओं की समीक्षा और सुधार
समीक्षा बैठक में ई-मापी के अलावा भू-अभिलेख पोर्टल, भू-समाधान, भू-संपरिवर्तन, ऑनलाइन लगान, दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्रक्रियाओं की समीक्षा की गई। सचिव ने अंचल निरीक्षण व्यवस्था में सुधार के भी निर्देश दिए। यह कदम राज्य की भूमि प्रबंधन प्रणाली को डिजिटल और प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है।
डिजिटल क्रांति की ओर एक और कदम
बिहार सरकार द्वारा भूमि मापी और प्रबंधन की डिजिटल प्रक्रिया को अपनाने से राज्य में प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता में वृद्धि होगी। यह कदम राज्य के किसानों और आम जनता को सशक्त बनाएगा, क्योंकि अब उन्हें भूमि से संबंधित मामलों में सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जमीन मापी के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को सरल और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने का यह निर्णय बिहार सरकार का एक सराहनीय कदम है। जमाबंदी संख्या की अनिवार्यता समाप्त होने से आवेदन प्रक्रिया में तेजी आएगी और लोगों को अनावश्यक परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। यह पहल न केवल समय और संसाधनों की बचत करेगी, बल्कि राज्य में भूमि प्रबंधन के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति को भी आगे बढ़ाएगी। सरकार की यह पहल किसानों और आम जनता के हितों की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो उन्हें अधिक पारदर्शी और प्रभावी सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगी।

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