December 15, 2024

एक राष्ट्र एक चुनाव देश के हित में, इससे जनता का पैसा और समय बचेगा : प्रशांत किशोर

  • पीके बोले, सरकार की अगर नियत सही, तो सभी स्वागत करेंगे, यह देश के लिए फायदेमंद

पटना। जन सुराज के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा “एक राष्ट्र, एक चुनाव” (वन नेशन, वन इलेक्शन) की मंजूरी दिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे देश के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा कि यदि इसे सही नीयत और उद्देश्य के साथ लागू किया जाए, तो यह कदम समय और संसाधनों की बचत के साथ-साथ देश की राजनीतिक प्रणाली को मजबूत करने वाला साबित हो सकता है। शुक्रवार को प्रशांत किशोर ने कहा कि वर्तमान में देश में हर साल करीब एक चौथाई जनता मतदान करती है। लगातार चुनावों के कारण सरकारें चुनावी मोड में रहती हैं, जिससे विकास और नीति-निर्माण के काम प्रभावित होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो न केवल जनता का पैसा बचेगा, बल्कि सरकारें अपनी पूरी ऊर्जा विकास कार्यों में लगा सकेंगी। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से सरकारी मशीनरी और संसाधनों का बड़ा हिस्सा इसमें व्यय हो जाता है। इसके साथ ही, सुरक्षा बलों और चुनाव कर्मियों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है। “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की व्यवस्था से इन समस्याओं को काफी हद तक हल किया जा सकता है। प्रशांत किशोर ने सरकार को सलाह दी कि इतने बड़े बदलाव को लागू करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले 50 सालों से देश में चुनाव प्रक्रिया एक निर्धारित ढर्रे पर चल रही है, जिसे एक दिन में बदलना संभव नहीं है। इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार को 4-5 साल का समय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में देश के सभी राजनीतिक दलों, विशेषज्ञों, और समाज के विभिन्न वर्गों की राय शामिल की जानी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कानून का उद्देश्य देश के हर नागरिक के हित में हो। प्रशांत किशोर ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की सफलता को सरकार की नीयत और उद्देश्य पर निर्भर बताया। उन्होंने कहा कि अगर इसे लागू करने का उद्देश्य सभी वर्गों को साथ लेकर देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करना है, तो यह स्वागत योग्य कदम होगा। लेकिन, अगर इसे किसी विशेष वर्ग या समाज को नुकसान पहुंचाने के लिए उपयोग किया गया, तो यह उचित नहीं होगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस बदलाव को पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ लागू किया जाए। एक राष्ट्र, एक चुनाव” के लागू होने से देश को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। बार-बार चुनाव कराने से बचने के कारण चुनावों पर होने वाला भारी खर्च बचाया जा सकेगा। सरकारें चुनावी मोड से बाहर निकलकर विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। सुरक्षा बलों और चुनावी तंत्र पर दबाव कम होगा, जिससे प्रशासनिक कार्य कुशलता से किए जा सकेंगे। बार-बार मतदान प्रक्रिया में भाग लेने की जरूरत नहीं होगी, जिससे जनता का समय बचेगा। हालांकि, “एक राष्ट्र, एक चुनाव” के लागू होने में कई चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं।  इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी। सभी दलों और राज्यों की सहमति प्राप्त करना कठिन हो सकता है। अलग-अलग राज्यों की चुनावी समय-सीमा को एकसमान करना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है। प्रशांत किशोर ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” को एक प्रगतिशील कदम बताया है, जो देश को एक नई दिशा दे सकता है। लेकिन उन्होंने सरकार से अपील की है कि इसे लागू करने में पारदर्शिता और जनहित का ध्यान रखा जाए। अगर इसे सही नीयत और उद्देश्य के साथ लागू किया जाए, तो यह न केवल देश के लोकतांत्रिक ढांचे को सशक्त करेगा, बल्कि समय और संसाधनों की बचत करके भारत को विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा।

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