बिहार चुनाव में एक और आईपीएस की एंट्री: नुरुल होदा ने दिया इस्तीफा, आज वीआईपी में होंगे शामिल

पटना। बिहार की राजनीति में इन दिनों पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों की एंट्री एक नया ट्रेंड बनता जा रहा है। शिवदीप लांडे के बाद अब एक और चर्चित आईपीएस अधिकारी नुरुल होदा राजनीति की दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं। नुरुल होदा ने अपने पद से इस्तीफा देकर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का दामन थामने का निर्णय लिया है। वह बुधवार को वीआईपी में आधिकारिक रूप से शामिल होंगे।
सीतामढ़ी से है गहरा नाता
नुरुल होदा मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहने वाले हैं। यही कारण है कि कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उन्हें सीतामढ़ी जिले की किसी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है। वे वक्फ कानून के विरोध में मुखर रहे हैं और संभवतः इसी मुद्दे के साथ राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभाने की योजना बना रहे हैं।
शैक्षणिक और प्रशासनिक पृष्ठभूमि
होदा की प्रारंभिक शिक्षा सीतामढ़ी से हुई और आगे की पढ़ाई बिहार विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। वे न केवल अंग्रेजी में दक्ष हैं, बल्कि उर्दू, फारसी और अरबी भाषाओं में भी पारंगत हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत आरपीएफ से की और बाद में आईजी स्तर के अधिकारी के रूप में कार्य किया। इससे पहले वे अवर सेवा चयन परिषद और 39वीं बीपीएससी में भी चयनित हुए थे, लेकिन उन्होंने इन पदों पर योगदान नहीं दिया।
प्रशासनिक सेवाओं में उल्लेखनीय योगदान
अपने सेवाकाल में नुरुल होदा ने रेलवे सुरक्षा बल में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे धनबाद और आसनसोल जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रेलवे सुरक्षा आयुक्त के रूप में तैनात रहे और वहां अपराध नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था में कई सफल रणनीतियां लागू कीं। उन्होंने दिल्ली मंडल में वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त और रेलवे बोर्ड में उप-महानिरीक्षक जैसे पदों पर रहते हुए भी महत्वपूर्ण कार्य किए।
सम्मान और सामाजिक योगदान
उनकी प्रशासनिक सेवाओं को देखते हुए उन्हें दो बार विशिष्ट सेवा पदक और दो बार महानिदेशक चक्र से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा वे सामाजिक सरोकारों से भी जुड़े रहे हैं। अपने पैतृक गांव में वे 300 बच्चों को मुफ्त आधुनिक शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं।
व्यक्तिगत जीवन और रुचियां
नुरुल होदा एक सक्रिय मैराथन धावक हैं और प्रतिदिन 10 किलोमीटर दौड़ते हैं। उनकी जीवनशैली और समाजसेवा की भावना ने उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। अब जब वे राजनीति में कदम रख चुके हैं, तो देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासनिक अनुभव के साथ वे राजनीतिक मंच पर कितनी मजबूती से अपनी पहचान बना पाते हैं।

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