February 22, 2025

उदयनिधि का केंद्र पर हमला, कहा- तमिलनाडु पर हिंदी न थोपे, वरना शुरू होगा एक और भाषा युद्ध

चेन्नई। तमिलनाडु के डिप्टी सीएम और डीएमके यूथ विंग लीडर उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु एक और ‘भाषा युद्ध’ शुरू करने में संकोच नहीं करेगा यदि ‘फासीवादी भाजपा सरकार’ ने तमिलों की भावनाओं को सुनने से इनकार कर दिया। उन्होंने एक प्रदर्शन के दौरान कहा कि 1938 के हिंदी विरोधी आंदोलन में, दो तमिलों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। 1965 में सैकड़ों युवाओं ने अपना जीवन इसमें झोंक दिया किया। अब, हम 2025 में हैं। यदि हिंदी हम पर लादी जाती है, तो सौ नहीं हजारों युवा तमिल नाडू और हमारे अधिकारों की रक्षा और अपने जीवन का बलिदान करने के लिए तैयार हैं। बीजेपी सरकार द्वारा कथित तौर पर राज्य सरकार को पैसे आवंटित करने से इनकार करने के विरोध में रैली आयोजित की गई थी। खास तौर से सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने से इंकार करने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पैसों का आवंटन को रोकने की बात कही। प्रधान के तर्क पर प्रतिक्रिया देते हुए कि अन्य सभी राज्यों ने एनईपी को स्वीकार कर लिया था। उदायनिधि ने कहा कि कई राज्यों की भाषाओं को अपने लोगों को हिंदी और अंग्रेजी सीखने के बाद तीसरे स्थान पर ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि हिंदी ने उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा सहित कई राज्यों की मूल भाषाओं को नष्ट कर दिया। अगर हम हिंदी स्वीकार करते हैं, तो हम तमिल खो देंगे। उन्होंने कहा कि द्रमुक  सरकार गुलाम नहीं है जो भाजपा से धन प्राप्त करने के लिए पिछले अन्नाद्रमुक शासन की तरह ‘बिंदीदार लाइनों’ पर हस्ताक्षर करेगी। उन्होंने आगे भाजपा सरकार पर ‘हिंदी को थोपने’ के द्वारा अनूठी संस्कृति और इतिहास को नष्ट करने की मांग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में काम करने वाले महान सॉफ्टवेयर इंजीनियर, और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के महान वैज्ञानिक सरकारी स्कूलों के छात्र थे, जिन्होंने दो भाषा की नीति का पालन किया। वीसीके नेता थोल थिरुमावलावन ने कहा कि यह अजीब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह गुजराती अपनी मातृभाषा होने के बावजूद ‘ब्राह्मणों की’ भाषा संस्कृत को बढ़ावा दे रहे है।

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