बीपीएससी से बहाल शिक्षकों को नहीं मिलेगी स्टडी लीव की छुट्टी, अनुपस्थित होने पर कटेगा वेतन
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पटना। बिहार में टीआरई-वन और टीआरई-टू से बहाल होकर सरकारी स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों के लिए राज्य सरकार का नया आदेश किसी झटके से कम नहीं है। शिक्षा विभाग ने एक नई अधिसूचना जारी कर बताया है कि इन शिक्षकों को अब उच्च अध्ययन के लिए स्टडी लीव (अध्ययन अवकाश) नहीं दी जाएगी। इसके बजाय, यदि वे उच्च अध्ययन के लिए अवकाश लेते हैं, तो उन्हें असाधारण अवकाश (एलओपी) का सहारा लेना होगा, जिसमें किसी भी प्रकार का वेतन या अन्य लाभ नहीं मिलेगा। यानी शिक्षक छुट्टी लेने पर ‘नो वर्क नो पे’ पॉलिसी के तहत वेतन से वंचित रहेंगे।
शिक्षा विभाग का निर्देश
शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। दरअसल, कई शिक्षकों ने उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु अध्ययन अवकाश के लिए अपने-अपने जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालयों में आवेदन दिए थे। इसके जवाब में जिला शिक्षा पदाधिकारियों ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से मार्गदर्शन मांगा था। इसके मद्देनजर निदेशालय ने यह निर्णय लेते हुए सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को सूचित किया कि वर्तमान परिस्थितियों में टीआरई-वन एवं टीआरई-टू से बहाल शिक्षकों को किसी भी तरह का अध्ययन अवकाश प्रदान नहीं किया जा सकता है। यदि शिक्षक उच्च शिक्षा हेतु छुट्टी लेना चाहते हैं, तो उन्हें असाधारण अवकाश पर भेजा जाएगा, जिसके दौरान उन्हें किसी भी प्रकार का वेतन और देय भत्ते नहीं मिलेंगे।
नो वर्क नो पे पॉलिसी का प्रभाव
शिक्षकों के लिए इस नीति का प्रभाव सीधा उनके वेतन पर पड़ेगा। शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार, शिक्षक यदि उच्च अध्ययन के लिए अनुपस्थित होते हैं, तो उन्हें ‘नो वर्क नो पे’ पॉलिसी के अंतर्गत वेतन से वंचित रहना पड़ेगा। इसका अर्थ है कि यदि शिक्षक बिना वेतन की छुट्टी पर जाते हैं, तो उस अवधि में उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा।
उच्च अध्ययन के लिए छुट्टी लेना क्यों है महत्वपूर्ण?
सरकार के इस फैसले से कई शिक्षक प्रभावित होंगे, क्योंकि उच्च शिक्षा के अवसर किसी भी शिक्षक की व्यक्तिगत और व्यावसायिक वृद्धि में सहायक होते हैं। हायर स्टडी के माध्यम से शिक्षक अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ा सकते हैं, जो उनके शिक्षण में सुधार का कारण बन सकता है। इससे वे अधिक प्रभावी ढंग से छात्रों को पढ़ाने में सक्षम होते हैं, जिससे संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था को लाभ हो सकता है। लेकिन, सरकार द्वारा अध्ययन अवकाश न दिए जाने के निर्णय से कई शिक्षक उच्च शिक्षा का लाभ नहीं उठा पाएंगे या उन्हें बिना वेतन की छुट्टी पर रहकर अपने अध्ययन को जारी रखना पड़ेगा।
बिहार सेवा संहिता के नियम
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों के असाधारण अवकाश के लिए बिहार सेवा संहिता के नियम 180 एवं 236 का हवाला दिया है। इस संहिता के तहत शिक्षक अपनी उच्च शिक्षा जारी रखने के लिए असाधारण अवकाश तो प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इस अवकाश के दौरान वे वेतन या अन्य वित्तीय लाभ प्राप्त नहीं कर सकेंगे। असाधारण अवकाश के नियम के अनुसार, सरकारी कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं या उच्च शिक्षा के लिए इस प्रकार का अवकाश ले सकते हैं, लेकिन इसमें ‘नो वर्क नो पे’ का सिद्धांत लागू होता है।
शिक्षकों में बढ़ी नाराजगी
इस नीति के चलते कई शिक्षक अपने भविष्य की योजनाओं को लेकर असमंजस में हैं। बिहार सरकार के इस आदेश के बाद कई शिक्षकों ने नाराजगी जताई है। उनका मानना है कि यह नीति न केवल उनकी शिक्षा और करियर की राह में बाधा बनेगी, बल्कि इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा। कई शिक्षकों का मानना है कि उच्च अध्ययन के लिए स्टडी लीव उन्हें अपना काम बेहतर ढंग से करने में सहायक हो सकती है, और राज्य के शैक्षिक स्तर को भी सुधार सकती है। इसके विपरीत, इस नए नियम के तहत उन्हें न केवल आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, बल्कि उनके अध्ययन की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।
सरकार की नीति और शिक्षा में सुधार
इस नई नीति का सरकार के समग्र शिक्षा नीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। हालांकि, शिक्षक समुदाय इस निर्णय को अपने करियर में बाधा के रूप में देख रहा है। उनका मानना है कि इस नीति में सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए, ताकि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक शिक्षक अपनी आर्थिक स्थिति को सुरक्षित रखते हुए उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें। बिहार सरकार का यह फैसला राज्य के शिक्षकों के लिए एक बड़ा झटका है। शिक्षकों को उच्च शिक्षा के लिए अवकाश न मिलने से उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रगति पर असर पड़ सकता है। हालांकि, शिक्षा विभाग ने यह कदम शायद इसलिए उठाया है ताकि स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति बनी रहे और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। फिर भी, यह देखने की बात होगी कि भविष्य में शिक्षकों और राज्य सरकार के बीच इस मुद्दे पर कैसे सामंजस्य स्थापित किया जाता है।
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