नीतीश सरकार ने सहकारिता को भ्रष्टाचार के दलदल में ढकेल दिया है: शक्ति यादव
पटना। शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए राजद के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि आज का सवाल सत्ता प्रतिष्ठान से है, आमजन से है, किसान का है और कारपेटिव माफिया के अधीन हो गया है जो बिहार में बड़े पैमाने पर किसानों के साथ फरेब करते हैं और नियम जटिल बनाए गए हैं। माफियाओं के लिए उस सन्दर्भ में ध्यान आकृष्ठ कराते हुए कहना चाहता हंू कि पटना उच्च न्यायालय ने अपने आब्र्जवेशन में सरकार को स्पष्ट तौर पर कहा है कि यह कैसी प्रणाली है जहां पैक्स अध्यक्ष चुनाव जीतकर आते हैं और पहले से पैक्स अध्यक्ष जो कुंडली मारकर बैठा है उसके अनुकूल उनकी समितियां बनी होती है, जीतकर वे भी आते हैं जो अध्यक्ष हार जाता है तब सभी अपने सदस्यों से इस्तीफा कराता है तदोपरान्त मजबूरन प्राधिकार को चुनाव में पैक्स को ढकेलना पड़ता है और निर्वाचित अध्यक्ष को फिर से चुनाव का सामना करना पड़ता है। आपलोग सब जानते हैं कि त्रिस्तरीय पंचायतों में यह प्रणाली नहीं है। वहां भी वार्ड विकास समिति है वहां वार्ड के सदस्य इस्तीफा दे देते हैं तो मुखिया का चुनाव नहीं होता है लेकिन पैक्स के सदस्य यदि पंचायत के हैं तो निर्वाचित होकर आते हैं अगर वो एक साथ इस्तीफा कर देते हैं तो अध्यक्ष को चुनाव का सामना करना पड़ता है। पिछले आठ-दस साल से डिफाॅल्टर का पैक्स जिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हुए हैं उसकी संख्या सैंकड़ों में बिहार के अंदर में है, उसको टाईम दिया जाता है। किसान को डबल टैकस देकर धन, गेहंू बेचनी पड़ती है। इस गंभीर मसले पर पटना उच्च न्यायालय ने अपने आब्जर्वेशन में स्पष्ट तौर पर सरकार को कहा िकइस नियम में बदलाव लाइए और प्राधिकार को जब पत्र लिखा गया। प्राधिकार ने भी बिहार सरकार को, सचिव को, अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा, प्राथमिक कृषि प्रशाखा समिति पैक्स के निर्वाचित सदस्यों को त्याग पत्र देने के फलस्वरूप समिति के अवक्रमण एवं निर्वाचन होने की स्थिति के लिए याचिका करवा 9491/2015 एवं अन्य समरूप मामले में दिनांक 17 अगस्त, 2015 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा किए गए आब्जर्वेशन के संबंध में ऐसे दृष्टांत सामने आ रहे हैं कि लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्राथमिक कृषि साख समिति के अध्यक्ष की अध्यक्षता में समिति के कार्य संचालन को सम्पन्न नहीं होने देने के लिए निर्वाचित सदस्यों द्वारा त्याग पत्र दे दिया जाता है। सदस्यों द्वारा त्यागपत्र दिये जाने से समिति अल्पमत में आ जाती है और प्रशासक की नियुक्ति तथा तदोपरांत नए सिरे से निर्वाचन की प्रक्रिया प्रारंभ करनी पड़ती है और निर्वाचन में पराजित पक्ष तत्काल अपनी मंशा में सफल हो जाते हैं तथा उन्हें मनोवांछित लाभ प्राप्त होता है एवं सहकारिता आन्दोलन का उद्देश्य प्रभावित होता है। यह गंभीर सवाल है। यह मामला पूरे बिहार से जुड़ा हुआ है। माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि आब्जर्वेशन के आधार विभागीय स्तर पर विचार किया जाए। यदि नहीं किया गया तो इस पर अभी विचार किए जाने की आवश्यकता है ताकि स्वार्थी तत्वों की मंशा ध्वस्त हो सके। सहकारिता आन्दोलन का उद्देश्य सरल और सुलभ किसानों के अनाज का क्रय करना एवं उसको ससमय उत्पादन का लाभ देना है बल्कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाने की नहीं है और धनबल के आधार पर गुटबंदी और मनोवांछित लाभ के उद्देश्य से निर्वाचित सदस्यों द्वारा त्यागपत्र देकर समिति के कार्य संचालन को विफल करने का कुंठित प्रयास पर रोक लग सके। यह मंशा भी जाहिर किया गया। यह भी बात कही गयी कि वैसे त्यागपत्र देने वाले निर्वाचित सदस्यों को अगले पांच वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ने देने के नियम का प्रावधान किया जाए। बिहार सरकार सहकारिता को भ्रष्टाचार के दलदल में ढकेल दिया है। माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी 20 वर्षों बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हैं और इतना बड़ा भ्रष्टाचार सहकारिता से जुड़ा हुआ। यह विभाग भी सृजन से अछुत नहीं है। सृजन का रिलेशन भी सहकारिता से जुड़ा हुआ था। बिहार में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार सृजन है। 1500 करोड़ से उपर का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है लेकिन सरकार चेती नहीं। पूरे बिहार में पैक्स चुनाव हो गए और बड़े-बड़े मठाधीश चुनाव हार गए लेकिन उनके समिति उनके घर के लोग हैं वो जीत के आ गए। अब अध्यक्ष को संचालन करने का उनको चार्ज देने का पूरे बिहार से शिकायत आया है। राष्ट्रीय दल ने इसे गंभीरता से राज्यहित, किसान हित में लिया है, बिहार की सरकार तत्काल प्रभाव से अगर नियम में बदलाव नहीं लाती है। जो त्यागपत्र देने वाले लोग हैं उनको दुबारा चुनाव लड़ने से रोकने की व्यवस्था लानी चाहिए। जो डिफाल्टर पैक्स पिछले दस-बारह साल से सर्टिफिकेट केस चल रहा है, करोड़ों के गबन का अरोप है वैसे लोग भी जीत कर के आ जा रहा है और किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है। जितने भ्रष्टाचारी है, सरकार के संरक्षण में जी रहा है। काॅपरेटिव माफिया पूरे काॅपरेटिव को भ्रष्टाचार के दलदल में ढकेल दिया है जो कि नीतीश सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। संवददाता सम्मेलन में राजद के प्रदेश प्रवक्ता अरूण कुमार यादव, प्रमोद कुमार सिन्हा, प्रदेश महासचिव फैयाज आलम कमाल, निर्भय अम्बेदकर, गणेश यादव उपस्थित थे।