सीएम नीतीश पर ‘प्रेशर’ नहीं बना सकेंगे मांझी या सहनी,जदयू ने कर लिया है वैकल्पिक इंतजाम!
पटना।बिहार की राजनीति में सर्वाधिक ताकतवर बने रहने के लिए सीएम नीतीश कुमार तथा उनकी पार्टी जदयू अभी भी पूरी तरह से प्रयत्नशील है।पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू को मात्र 45 सीटें आई। इसके बावजूद भाजपा को सीएम नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में सहर्ष स्वीकार करना पड़ा।बात इतनी ही नहीं है,आगे भी विधानसभा में बहुमत के राजनीतिक गणित में ‘माइनस नीतीश’ कोई समीकरण प्रभावित ना हो सके।इसके लिए सभी उपाय सीएम नीतीश कुमार के राजनीतिक ‘कारीगरों’ के द्वारा किए जा रहे हैं।फिलहाल विधानसभा में जदयू के 43 सीट है।मगर अब बसपा तथा एक निर्दलीय का समर्थन जदयू को प्राप्त हो गया है।लोजपा के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति अपनी निष्ठा उजागर कर दी है।वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी कर चुके हैं।कल बिहार के एआईएमआईएम के पांचों विधायक भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने एक सुनियोजित रणनीति के तहत सीएम हाउस पहुंचे।सूत्रों के अनुसार बेहतर मुलाकात हुई है।हालांकि एआईएमआईएम के विधायकों ने बताया कि वे अपने क्षेत्रों के विकास को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे।मगर राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि बसपा तथा निर्दलीय सुमित कुमार सिंह के अतिरिक्त अगर लोजपा तथा एआईएम के सभी विधायक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आ जाते हैं।तो वे हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी तथा वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी के कभी प्रकट हो सकने वाली संभावित दबाव से अभी से ही मुक्त हो जाएंगे।सीएम नीतीश के करीबियों का मानना है कि इस कार्यकाल के दौरान जदयू को बेहद संभल के चलना होगा। क्योंकि विधानसभा में भाजपा की ताकत जदयू के अपेक्षा लगभग दोगुनी है।जदयू के रणनीतिकारों ने बताया कि सहर्ष रूप से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकारने वाली भाजपा खुद तो आगे आकर सरकार के समक्ष कठिनाइयां उत्पन्न करने से परहेज करेगी।परंतु यदि सरकार वीआईपी तथा हम के ‘बैसाखी’ पर चलती है।तो संभव है कि भाजपा उन्हें आगे कर समय-समय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘प्रेशर’ में लाने का प्रयास करेगी।राजनीतिक सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार कालांतर में वीआईपी के मुकेश सहनी तथा हम के जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बनाने की हिमाकत ना करें। इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत एआईएमआईएम के पांच तथा लोजपा के एक विधायक को अपने साथ लाने की जो जीव के द्वारा मुकम्मल तैयारी की जा रही है। निर्दलीय सुमित कुमार सिंह का समर्थन पहले से ही है।वे नीतीश सरकार में मंत्री भी बनने जा रहे हैं। बसपा के विधायक ने जदयू का दामन थाम लिया है।ऐसे में अगर एआईएमआईएम के पांच विधायक तथा लोजपा के एक विधायक जदयू में शामिल हो जाते हैं।तो भाजपा के साथ बराबरी में बात करने की स्थिति में हर समय जदयू रहेगी।