दाखिल खारिज को लेकर नया नियम जारी, वेबसाइट पर गलतियों का 30 दिन में करें समाधान, नहीं तो रद्द होगा आवेदन
पटना। बिहार में दाखिल-खारिज प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। अब इस प्रक्रिया में त्रुटियों के सुधार के लिए 30 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई है। यदि आवेदक इस अवधि में त्रुटि को ठीक नहीं करता है, तो उसका आवेदन स्वतः रद्द कर दिया जाएगा। यह कदम प्रक्रिया में देरी और लंबित आवेदनों की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
त्रुटि सुधार के लिए 30 दिन की सीमा
नए नियम के तहत, दाखिल-खारिज आवेदन में यदि कोई त्रुटि पाई जाती है, तो आवेदक को इसे सुधारने के लिए 30 दिनों का समय दिया जाएगा। इस अवधि के भीतर त्रुटि न सुधारने पर आवेदन स्वतः निरस्त हो जाएगा। यह प्रावधान आवेदन प्रक्रिया को गति देने और फाइलों के अनावश्यक लंबित रहने की समस्या को कम करने के लिए लागू किया गया है।
आवेदन रद्द होने की स्थिति में पुनः प्रक्रिया
यदि आवेदन 30 दिनों की सीमा के भीतर रद्द हो जाता है, तो आवेदक को पूरी प्रक्रिया दोबारा से शुरू करनी होगी। इसमें समय और संसाधन दोनों की खपत होगी। इस समस्या से बचने के लिए आवेदकों को आवेदन के स्टेटस की नियमित जांच करने की सलाह दी गई है।
परिमार्जन प्लस पोर्टल की भूमिका
इस प्रक्रिया को अधिक सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए परिमार्जन प्लस पोर्टल का उपयोग किया जा रहा है। आवेदक अपने आवेदन की स्थिति और उसमें पाई गई त्रुटियों की जानकारी इस पोर्टल के माध्यम से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर आवेदक समय पर आवश्यक सुधार कर सकते हैं।
समय सीमा का महत्व
पहले दाखिल-खारिज प्रक्रिया में त्रुटियों को सुधारने के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं थी। इसके कारण आवेदन महीनों तक लंबित रहते थे और प्रक्रिया में अनावश्यक देरी होती थी। नए नियम के तहत समय सीमा निर्धारित करने से न केवल प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि यह आवेदकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझने और समय पर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करेगा।
नियम का उद्देश्य और लाभ
यह बदलाव दाखिल-खारिज प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे लंबित मामलों की संख्या कम होगी और आवेदकों को समय पर सेवाएं प्राप्त होंगी। आम जनता को इस प्रक्रिया से जुड़े कार्यों में होने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी। दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में समयसीमा का पालन करना अब अनिवार्य है। यह नियम न केवल प्रशासनिक कार्यक्षमता बढ़ाएगा बल्कि आवेदकों को अपने आवेदन पर तेजी से ध्यान देने के लिए भी प्रेरित करेगा। आवेदकों को परिमार्जन प्लस पोर्टल का नियमित उपयोग कर समय पर अपने आवेदन का स्टेटस जांचने और त्रुटियों को सुधारने की आदत डालनी चाहिए। इससे प्रक्रिया सरल और सुगम हो जाएगी।