बिहार में लागू हुआ आरक्षण का नया प्रावधान, नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में अब 75 फ़ीसदी रिजर्वेशन
- बिहार सरकार का गजट प्रकाशित: राज्यपाल की मंजूरी के बाद बना नया कानून, एससी-एसटी, ईबीसी-ओबीसी के आरक्षण में 15 फीसदी का इजाफा
पटना। बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़कर 75 फीसदी पहुंच गया है। बिहार में 15 फीसदी आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया है। नौकरी और शिक्षण संस्थानों में एससी-एसटी, ईबीसी-ओबीसी को अब 75 फ़ीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। मंगलवार से यह लागू हो गया। बिहार सरकार ने गजट प्रकाशित कर दिया है। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन पिछले गुरुवार (9 नवंबर) को आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पेश हुआ था, जिसे दोनों सदन सर्व सम्मति से पास किया। इसमें आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75% करने का प्रावधान है। राज्य के मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने बिल को अपना समर्थन दिया है। दिल्ली से आते ही राज्यपाल आर्लेकर ने रिजर्वेशन बिल-2023 पर मुहर लगा दी थी। सीएम नीतीश कुमार ने 7 नवंबर को विधानसभा में इसकी घोषणा की थी कि सरकार बिहार में आरक्षण के दायरे को बढ़ाएगी। 50 फीसदी से इसे 65 या उससे ऊपर ले जाएंगे। कुल आरक्षण 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करेगी। मुख्यमंत्री के ऐलान के तुरंत बाद कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई। ढाई घंटे के भीतर कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इसके बाद इसे शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 9 नवंबर को विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित कर दिया गया। शीतकालीन सत्र के दौरान विधानमंडल से 9 नवंबर को विधेयक को पास कराया गया। नए प्रावधान के बाद अनुसूचित जाति को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 2 प्रतिशत, अति पिछड़ा जाति को 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत आरक्षण मिल सकेगा। वहीं, केंद्र की सामान्य वर्ग वाले लोगों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पहले की तरह 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू रहेगा। सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में पिछड़े और दलित और महादलित लोगों को इसका लाभ मिलेगा। एससी, एसटी, ओबीसी कैटेगरी के छात्रों को सरकारी कॉलेज विश्वविद्यालय में नए सिरे से आरक्षण का लाभ ले पाएंगे। हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी के कुल सीट का 75% आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े समान वर्ग के अभ्यर्थियों के अलावा ओबीसी, एससी-एसटी के विद्यार्थी ले सकेंगे। बिहार सरकार के सरकारी नौकरियों में भी दलित, महादलित, अत्यंत पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिलेगा। बीते दिनों राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने बिहार में नए आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी थी। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद बिहार में एससी-एसटी ईबीसी और ओबीसी के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ गया।