शिक्षा विभाग का नया फरमान: प्रखंड और जिला स्तर पर जनता दरबार अनिवार्य, शिक्षा पदाधिकारी सुनेंगे शिकायतें

पटना। बिहार के शिक्षा विभाग में नए अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ द्वारा जारी किए गए आदेश ने पूरे विभाग में हलचल मचा दी है। नए आदेश के अनुसार अब प्रखंड और जिला स्तर के शिक्षा पदाधिकारी जनता की शिकायतें सुनेंगे और उनका निपटारा करेंगे। इस आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा विभाग ने बिहार के सभी जिलों और प्रखंडों से जुड़े अधिकारियों को इस नए आदेश के तहत निर्देशित किया है कि वे आने वाले दिनों में प्रखंड और जिला स्तर पर परिवादों की सुनवाई करेंगे। इसके लिए कार्य अवधि के दौरान सप्ताह में एक दिन जनता दरबार लगाने का प्रावधान किया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि शिकायतें सुनी जा रही हैं और उनका समाधान हो रहा है, अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भी मुख्यालय को देनी होगी। नए आदेश के तहत, जिला पदाधिकारी स्तर के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी हर बुधवार को अपराह्न 4 से 5 बजे तक परिवादों को सुनेंगे। प्रखंड स्तर पर शिक्षा पदाधिकारी प्रत्येक मंगलवार को अपराह्न 4 से 5 बजे तक शिकायतें सुनेंगे। अगर प्रखंड स्तर पर शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो शिकायतकर्ता अगले दिन बुधवार को जिला स्तर के अधिकारी के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है। यह सुनवाई संबंधित पदाधिकारी के कार्यालय कक्ष या उनके द्वारा निर्धारित स्थल पर की जाएगी। शिकायतों को व्यवस्थित रूप से सूचीबद्ध करने के लिए एक रजिस्टर का उपयोग किया जाएगा। इस रजिस्टर में शिकायतकर्ता का नाम, पता और परिवार का विवरण दर्ज होगा। इसके अलावा, शिकायत करने वाले का हस्ताक्षर और प्राधिकृत कर्मचारी का हस्ताक्षर भी लिया जाएगा। यह आदेश 18 से 30 जून तक प्रभावी रहेगा, और इस दौरान समय पर शिकायतों का निपटारा करना अनिवार्य होगा। आदेश के अनुसार, जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अपने कार्यालय कक्ष में और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बीआरसी में जनता दरबार का आयोजन करेंगे। इस दौरान वे लोगों की समस्याओं को सुनेंगे और उनके समाधान के प्रयास करेंगे। इस नए आदेश से शिक्षा विभाग में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है। जनता दरबार के आयोजन से आम लोगों की समस्याओं का समाधान तेजी से और प्रभावी तरीके से हो सकेगा। इससे शिक्षा विभाग में सुधार और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकेगा। एस सिद्धार्थ के इस पहल से बिहार के शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

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