December 23, 2024

कोरोना और मंकीपॉक्स के बीच सामने आया नया संक्रमण, स्वीडन से उत्पत्ति होने के बाद दुनिया में अलर्ट जारी

उत्तर प्रदेश। देश में कोरोना के केस अभी खत्म भी नहीं हो पाए था। कि यूपी में एक नई बीमारी ने लोगों को डराना शुरू कर दिया है। जानकरी के अनुसार इस बीमारी के चलते लखनऊ में कई सुअरों की मौत हो गई। देश में कोरोना के केस अभी खत्म भी नहीं हो पाए था। कि यूपी में एक नई बीमारी ने लोगों को डराना शुरू कर दिया है। UP के बरेली मे इसी तरह का केस सामने आया है, जहां एक सुअर की मौत हो गई है। जांच पड़ताल में पता चला है कि यह अफ्रीकन स्वाइन फीवर है। अफ्रीकन स्वाइन फीवर का पहला मामला सामने आने के बाद पशुपालकों में हड़कंप मच गया है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने एक सुअर की संदिग्ध बीमारी से मौत के बाद सैंपल की जांच की थी जिसकी एएसएफ आरटीपीसीआर पॉजिटिव आई है। IVRI के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को पत्र जारी कर अलर्ट किया कहा है। IVRI बरेली कैडरेट के संयुक्त निदेशक डॉ. केपी सिंह ने गुरुवार को बताया कि मिजोरम, त्रिपुरा और असम के बाद बरेली में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का पहला मामला सामने आया है। कुछ दिन पूर्व बरेली जिले के नवाबगंज तहसील के भड़सर डांडिया गांव निवासी पशु पालक डॉ. अनिल कुमार के सुअर को तेज बुखार आया था। उसने खाना पीना छोड़ दिया। बेहद कमजोर हो गया. उसका इलाज भी कराया गया, लेकिन दवा का कोई असर नहीं हुआ। उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।

पशुपालक ने बतया की मृत सुअरों का सैंपल लेकर IVRI में जांच के लिए भेजा गया था, इसमें अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है। इसके बाद IVRI ने गांव में एक टीम भेजने का फैसला लिया गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि IVRI टीम सुअरों में संक्रमण जांच करेगी। इसके साथ ही पशुपालकों को ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत क्वारंटीन की सलाह देगी। IVRI ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बरेली को भी पत्र भेजा गया है। IVRI की ओर से कहा गया है कि जिस इलाके में संक्रमण की पुष्टि होती है। उसका एक किलोमीटर का इलाका संक्रमित जोन घोषित कर दिया जाएगा है। डॉ सिंह ने बताया कि IVRI इस बीमारी की वैक्सीन बनाने में जुटा है। उन्होंने बताया कि IVRI ने सुअर का मांस खाने पर भी रोक लगाने की बात कही है। इस संक्रमण से इंसानों को खतरा नहीं है। मगर जो पशुपालक या कर्मचारी सुअर के संपर्क में आते हैं तो उससे दूसरे पशुओं में फैल सकता है. यह वायरस पहली बार 1920 में अफ्रीका के पशुओं में दिखाई पड़ा था।

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