December 22, 2024

वाराणसी से तीसरी बार चुनाव जीते नरेंद्र मोदी, इंडिया के प्रत्याशी डेढ़ लाख वोटों से हराया

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट तीसरी बार जीत ली है। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय को डेढ़ लाख वोटों से हराया है। पिछले दो चुनावों में मिली जीत की तुलना करें तो इस बार मार्जिन काफी कम है। मोदी को इस बार पिछले चुनाव में मिले वोटों से भी कम मत मिले हैं। पिछले बार पीएम मोदी को 674664 वोट मिले थे। इस बार 611439 वोट ही मिल सके हैं। वहीं पिछली बार केवल 152548 वोट हासिल करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को इस बार 459084 वोट मिले हैं। इस तरह पीएम मोदी ने अजय राय को 152355 वोटों से हराया है। मंगलवार की सुबह वोटिंग शुरू होने पर एक समय ऐसा भी आया जब पीएम मोदी अजय राय से पिछड़ गए थे। पोस्टल बैलेट की गिनती में पीएम मोदी को अजय राय ने छह हजार वोटों से पछाड़ भी दिया था। इसके बाद मोदी आगे निकले तो निकलते ही चले गए। पीएम मोदी ने पहली बार 2014 में वाराणसी को चुना था। तब तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीते। उनके सामने उतरे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दूसरे, सपा के कैलाश चौरसिया तीसरे और कांग्रेस के अजय राय चौथे नंबर पर थे। 2019 में पीएम मोदी दोबारा मैदान में उतरे और एकतरफा मुकाबले में जीत हासिल की। 2019 में सपा की शालिनी यादव दूसरे और कांग्रेस के अजय राय तीसरे नंबर पर थे। इस बार सपा का कांग्रेस को समर्थन था। पिछले दो चुनावों के वोटों की बात करें दो दोनों बार ही मोदी के आने से एकतरफा मुकाबला रहा। 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी को 6 लाख 74 हजार 664 वोट मिले। सपा की शालिनी यादव को केवल 1 लाख 95 हजार 159 वोट ही मिल सके थे। कांग्रेस के अजय राय को 1 लाख 52 हजार 548 वोट मिले थे। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी में 5 लाख 81 हज़ार वोट मिले थे। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को 2 लाख 9 हजार वोटों से हराया था। कांग्रेस समेत अन्य दलों का कोई प्रत्याशी एक लाख वोट भी नहीं हासिल कर सका था।
वाराणसी में तीन दशक से भाजपा का कब्जा
वाराणसी लोकसभा सीट पर 1991 यानी तीन दशक से भाजपा का कब्जा है। बीच में केवल एक बार 2004 में कांग्रेस ने यह सीट छीनी थी। उस समय यहां से सांसद बने राजेश मिश्रा कुछ दिनों पहले ही भाजपा में शामिल हो गए थे। 2009 के चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे मुरली मनोहर जोशी को यहां भेजा गया। जोशी से मुकाबला मुख्तार अंसारी का हुआ। बेहद करीबी मुकाबले में मुरली मनोहर जोशी यहां से जीत सके थे। तब अजय राय सपा से उतरे और तीसरे स्थान पर रहे थे। 2009 में बीजेपी के डॉ. मुरली मनोहर जोशी केवल तीस हजार वोटों से ही जीत सके थे। मुरली मनोहर जोशी को 2 लाख 3 हजार 122 वोट मिले थे। बसपा के मुख्तार अंसारी को 1 लाख 85 हजार 911 वोट मिले। सपा के अजय राय को 1 लाख 23 हजार 874 वोट मिले। जबकि निर्वतमान सांसद रहे कांग्रेस के डॉ. राजेश कुमार मिश्र को केवल 66 हजार 386 वोट ही मिले थे।
वाराणसी में सपा-बसपा को नहीं मिली कभी जीत
अभी तक 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं। सात बार कांग्रेस और सात बार भाजपा जीती है। एक-एक बार जनता दल और सीपीएम उम्मीदवार को भी जीत नसीब हुई है। भारतीय लोकदल ने भी इस सीट पर एक बार जीत हासिल की है। समाजवादी पार्टी और बसपा ने इस सीट पर अभी तक कभी भी जीत दर्ज नहीं की है। वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिण और वाराणसी कैंट शहर की सीटें हैं। रोहनिया और सेवापुरी ग्रामीण इलाके में हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की पांचों सीटों पर भाजपा और उसकी सहयोगी अपना दल ने कब्जा किया है।
मोदी से पहले कई दिग्गज बने सांसद
वाराणसी लोकसभा सीट से कई दिग्गज नेता चुनाव जीतकर आए हैं। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी, मुरली मनोहर जोशी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री भी सांसद बने हैं। वाराणसी से 1957 के आम चुनाव में कांग्रेसी नेता रघुनाथ सिंह सांसद चुने गए। 1962 में भी जनता ने रघुनाथ सिंह को ही विजयी बनाया। 1967 में यहां से पहली बार सीपीएम के सत्य नारायण सिंह ने चुनाव जीता। 1971 में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री सांसद बनें। 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर की बदौलत वाराणसी से चन्द्र शेखर चुनाव जीते। 1980 में कमलापति त्रिपाठी वाराणसी सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1989 में इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल कुमार शास्त्री ने चुनाव जीता। 2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्रा ने यहां जीत हासिल की। 2009 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी इलाहाबाद से वाराणसी चुनाव लड़ने आए और चुनाव जीते। इसके बाद साल 2014 और 2019 का चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी ने जीता।

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