पहले पत्रकारिता राष्ट्र निर्माण का अंग अब व्यवसाय : नंदकिशोर
पटना सिटी (आनंद केसरी)। सोशल मीडिया खासा लोकप्रिय हो जाए, फिर भी प्रिंट मीडिया का विकल्प नहीं हो सकता। आज अखबार में उसी खबर को जगह मिलती है, जो लगता है कि वह बिकेगा और हिट होगा। यह पक्ष गौण हो गया है कि किस खबर से समाज का भला होगा, किससे जनरुचियों का परिष्कार होगा और कौन समाचार राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा। यह बात रामजी मिश्र मनोहर पत्रकारिता फाउंडेशन के द्वारा पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर आयोजित संगोष्ठी में पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने सोमवार को कहीं। इसका आयोजन बेलवरगंज स्थित एक कम्युनिटी हॉल में किया गया था। श्री यादव ने कहा कि पहले पत्रकारिता स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण का हिस्सा था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित मदन मोहन मालवीय, अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोग पत्रकार थे। जबसे अखबार पूंजीपतियों का व्यवसाय बन गया, तब से पत्रकारों को लिखने-बोलने की आजादी अपेक्षाकृत पहले से कम हो गई है। आज अधिकांश पत्रकारों को खबर लिखने के साथ विज्ञापन भी लाना होता है। मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि रामजी मिश्र मनोहर नहीं होते, तो शायद हम लोग पाटलिपुत्र, अजीमाबाद, कुसुमपुर के इतिहास और अतीत, संस्कृति और परंपरा को शायद सही परिप्रेक्ष्य में नहीं जान और समझ पाते। वे पटना के इतिहास और बिहार के हिंदी पत्रकारिता के चलंत विश्वकोश थे। गोष्ठी में रामजी मिश्र मनोहर की 20वीं पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया था। रामजी मिश्र मीडिया फाउंडेशन एवं नई दिशा परिवार के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश चंद्र गुप्ता, संचालन कमलनयन श्रीवास्तव और स्वागत राजेश बल्लभ ने किया। विषय प्रवेश कराते हुए पूर्व कुलपति सह पटना कॉलेज के प्राचार्य डॉ एजाज अली अरशद ने कहा कि आज पत्रकारिता के समक्ष जितनी चुनौती और जिम्मेदारियां हैं, वह पहले कभी नहीं थी। रामजी मिश्र की 10 पीढ़ियों पत्रकारिता में रही है यह उदाहरण देश और दुनिया में दुर्लभ है। मनोहर जी सामाजिक व्यवहार के प्रतीक थे। वरिष्ठ पत्रकार देवेश कुमार ने कहा कि अखबारों और चैनलों में सकारात्मक खबरों और अच्छी पहल को कम जगह मिल रही है, जबकि अपराध, भ्रष्टाचार और अनीति की खबरों को अधिक प्रश्रय दिया जा रहा है। इस दौरान पत्रकार लव कुमार मिश्र के अलावा आनंद प्रसाद हरलालका, ज्ञानवर्धन मिश्र, एहसान अली अशरफ, पूर्व पार्षद लल्लू शर्मा, राजेश राज, बिहारी भैया, कुमार पंकज सिंहा, कवि घनश्याम आदि मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन न्यास के प्रोफेसर डॉक्टर लक्ष्मी सिंह ने किया।