बिहार मंत्रिमंडल से बाहर हुए मुकेश सहनी, राज्यपाल ने सीएम नीतीश की सिफारिश को किया मंजूर
पटना। मुकेश सहनी अब राज्य मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं रहे। रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के पत्र पर राज्यपाल फागू चौहान से उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से पदमुक्त करने की सिफारिश कर दी। वही अब यह खबर सामने आ रही हैं की राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मुहर लगा दी है। हालांकि देर रात तक राजभवन ने मीडिया को इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी। मुकेश सहनी नीतीश सरकार में भाजपा की अनुशंसा पर ही मंत्री बनाए गए थे। रविवार को भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सहनी को पदमुक्त करने को लेकर दो पत्र मिले। इस संबध में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल और भाजपा विधानमंडल दल के नेता तथा उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने पत्र भेजकर मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के तीनों विधायक अब भाजपा का हिस्सा हैं। उनका भाजपा विधायक दल में विलय हो चुका है। इसलिए अब वीआईपी के पास कोई विधायक नहीं बचा है। साथ ही, अब वीआईपी राजग का हिस्सा नहीं है। इसलिए मुकेश सहनी को पदमुक्त कर दिया जाए।
भाजपा से ही था वीआईपी का गठबंधन
वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए में सीट शेयरिंग जदयू-भाजपा के बीच हुई थी। पहले चरण के इस बंटवारे के बाद वीआईपी का समझौता भाजपा और हम का समझौता जदयू से हुआ। एनडीए के इन दोनों मुख्य दलों ने अपने हिस्से में आई सीटों में से वीआईपी और हम को सीटें दी थीं। भाजपा से वीआईपी के समझौते में भूमिका गृहमंत्री अमित शाह की थी। बताया जाता है कि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी का राज्य मंत्रिमंडल से हटना 20 मार्च को ही तय हो गया था। इस दिन शाम में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री व बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तथा प्रदेश इकाई की मुकेश सहनी को लेकर मत से श्री राय द्वारा सरकार के मुखिया को अवगत करा दिया गया था। इसके बाद 23 मार्च को विधानमंडल सत्र के बाद भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल, उप मुख्यमंत्री द्वय तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी संग वीआईपी के तीनों विधायक- राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्रीलाल यादव ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा से उनके कक्ष में मुलाकात कर भाजपा को समर्थन देने का पत्र सौंपा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन तीनों के भाजपा में विलय को मंजूरी दे दी। देर रात तीनों विधायक भाजपा में शामिल भी हो गये।
यूपी चुनाव से बढ़ी भाजपा और मुकेश सहनी की दूरी
भाजपा और वीआईपी के बीच दूरी उत्तर प्रदेश चुनाव से ही बढ़ने लगी थी। हालांकि मुकेश सहनी को भाजपा ने अपने तरीके से कई बार संदेश देने की कोशिश की। पहली बार जब वे फूलन देवी की मूर्ति लगाने के लिए यूपी गए तो उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस आना पड़ा। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान मुकेश सहनी ने भाजपा के खिलाफ जमकर प्रहार किया। अपने प्रचार में कहा कि निषाद समाज का भाजपा शोषण कर रही है और उनको अधिकार नहीं दे रही है। यही नहीं, सहनी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर भी व्यक्तिगत रूप से हमलावर रहे। सहनी ने कई स्थानों पर भाजपा के खिलाफ न सिर्फ खुलकर पोस्टर-बैनर लगवाए, बल्कि भाजपा के खिलाफ वोट देने की भी अपील की। यह भाजपा को नागवार गुजरा और तभी से वह उसके निशाने पर थे।