November 14, 2024

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे की सास का कोरोना से निधन, मुंबई के लीलावती अस्पताल में थीं भर्ती

पटना । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे की सास व संस्कार भारती की आजीवन सदस्य नीता चौबे की मां 86 वर्षीय चंद्रप्रभा द्विवेदी का कोरोना से निधन हो गया है। वह मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती थीं।

चंद्रप्रभा द्विवेदी अखिल भारतीय एसबीआई पेंशनर्स एसोसिएशन के सह अध्यक्ष स्व. श्याम सुंदर द्विवेदी की धर्मपत्नी व बैंकर्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव और बिटिया बचाओ बिहार के संरक्षक रहे प्रख्यात समाजसेवी स्वर्गीय आनंद द्विवेदी की मां थीं। गत दिनों मुम्बई के लीलावती अस्पताल में कोविड संक्रमण के इलाज के दौरान हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।

ज्ञात हो कि स्वर्गीय चंद्रप्रभा द्विवेदी एक जुझारू और सामाजिक महिला थी। जिन्होंने 74 आंदोलन के आपातकाल में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। और उस समय के बड़े बड़े आंदोलनकारी एवं छात्र नेताओं को जेल में खाना, दवा आदि पहुंचातीं थी एवं सेवा का कार्य करतीं थी। जिसमें अश्विनी चौबे के अलावा, सुशील मोदी और लालू प्रसाद, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री महामाया बाबू, कपिलदेव सिंह भी शामिल रहें हैं। स्वर्गीय द्विवेदी कर्मठ एवं आध्यात्मिक महिला थी। जिन्होंने लोकगीत, संगीत, लोककला, घरेलू उपचार और पारंपरिक व्यंजन पर कई लेख लिखे एवं पुस्तक भी लिखा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री चौबे ने गहरी शोक संवेदना जताते हुए कहा कि मेरे ससुर एक सामाजिक कार्यकर्ता थे और उनकी मौत के बाद चंद्रप्रभा जी उन्ही के साथ 18 वर्षों से रह रहीं थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा विपरीत परिस्थिति में मेरा साथ दिया और निरंतर मेरे अंदर ऊर्जा भरने का काम करती थीं। उनके चले जाने से मेरे जीवन में एक शून्यता आने लगी है। एक अभिवावक के तौर पर उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया। स्वर्गीय द्विवेदी अपने पीछे दो पुत्री नीता चौबे एवं अनिता त्रिवेदी और एक पुत्र डिप्टी कमिश्नर कस्टम्स विवेक द्विवेदी को छोड़ गई हैं।

ज्ञात हो कि उनकी मंझली बेटी संगीता मिश्रा 2013 में केदारनाथ प्राकृतिक आपदा में पति सुबोध मिश्रा सहित काल कलवित हो गई थीं। जो मेरे साथ तीर्थाटन पर गए थे एवं एमएनडी जैसे विकट रोग से सबसे छोटे बेटे आनंद के मौत के बाद भी विचलित नहीं हुई और डट कर संघर्ष करती रहीं और अपने अंतिम पड़ाव पर भी लीलावती अस्पताल में अपने बड़े पुत्र विवेक के साथ भर्ती होकर अपना आयु उसे देकर सदा के लिए अलविदा हो गईं। भगवान से प्रार्थना करता हूं कि ऐसी पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

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