बिहार में मनरेगा लोकपाल के लिए अंतिम तौर पर 31 उम्मीदवारों का चयन

पटना। ग्रामीण विकास विभाग में जल्द ही मनरेगा लोकपाल की बहाली होगी। कई जिलों में वर्षों से यह पद खाली था। राज्य सरकार ने छह महीने पहले बहाली की प्रक्रिया शुरू की। अंतिम तौर पर 31 उम्मीदवारों को इस पद के योग्य पाया गया। योग्य उम्मीदवारों की सूची विभाग के वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी गई है। आम लोगों से आपत्तियां मांगी गई हैं। अगर गंभीर आपत्तियां नहीं आईं तो सूची में शामिल लोग मनरेगा के लोकपाल बहाल कर दिए जाएंगे।
ग्रामीण विकास विभाग के अपर सचिव राजीव रौशन के मुताबिक मनरेगा लोकपाल के लिए 342 आवेदन आए। इनमें से 212 आवेदन विचार के लिए स्वीकार किए गए। 130 आवेदनों को त्रुटिपूर्ण मानकर रद कर दिया गया। विचार के लिए स्वीकार किए गए आवेदनों में से सिर्फ 74 को योग्य श्रेणी में रखा गया। फरवरी में कई चरणों में काउंसिलिंग हुई। सिर्फ 39 आवेदन ऐसे थे, जिन्होंने दावे के अनुरूप साक्ष्य जमा किए। पिछले महीने लोकपाल चयन समिति की हुई बैठक में 39 में से 31 को पूरी तरह इस पद के योग्य पाया गया। जनता की आपत्तियों का समय पूरा हो गया। विभाग उनकी समीक्षा कर रहा है। समीक्षा के बाद जितने आवेदक अंतिम तौर पर योग्य पाए जाएंगे, उन्हें बहाल कर दिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि सभी जिलों के लिए एक लोकपाल का प्रविधान है। अपेक्षित संख्या में उम्मीदवार न मिलने की स्थिति में कुछ लोकपालों को एक से अधिक जिले का प्रभार दिया जा सकता है।
लोकपाल के जिम्मे होता है यह काम
मनरेगा से जुड़ी तमाम शिकायतों की सुनवाई लोकपाल करते हैं। उनका कार्यालय जिला मुख्यालय में रहता है। बहाली दो साल के लिए होती है। 65 साल की उम्र से पहले तक एक-एक साल का सेवा विस्तार भी मिल सकता है। मानदेय के तौर पर हरेक दिन की बैठक के लिए एक हजार रुपया निर्धारित है। लेकिन, महीने में कुल मानदेय की राशि 20 हजार रुपये से अधिक नहीं होगी।

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