विधानसभा में बागी विधायकों का बदला सीटिंग अरेंजमेंट, अब ना पक्ष और ना विपक्ष में बैठेंगे, स्पीकर ने लिया फैसला
पटना। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बागी विधायकों के लिए सीटिंग अरेंजमेंट में बड़ा बदलाव किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों के लिए एक नई जगह तय की है, जो न तो सत्तापक्ष के साथ है और न ही विपक्ष के साथ। यह निर्णय हाल ही में सदन के भीतर हुई घटनाओं और विवादों के बाद लिया गया। नई व्यवस्था ने बागी विधायकों की भूमिका को लेकर चर्चा और विवाद को और बढ़ा दिया है। राजद के बागी विधायक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ठीक पीछे बैठ रहे थे। बुधवार को हुए हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों के लिए एक अलग जगह निर्धारित की, जो अध्यक्ष के ठीक सामने है। यह स्थान सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों से अलग है। बागी विधायक चेतन आनंद ने स्पष्ट किया कि उनके लिए सीट नंबर 202 पहले से ही तय थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस व्यवस्था को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। पिछले दिनों विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच सीट को लेकर तनातनी बढ़ गई थी। आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने मुख्यमंत्री की सीट पर बैठने की कोशिश की, जिससे सदन में हंगामा हो गया। शुक्रवार को सदन के दौरान सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी विधायक सत्तापक्ष की तरफ बैठने लगे, जिससे दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सीट पर पहुंच गए। इसके बाद मार्शलों को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्हें हटाना पड़ा। हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत निर्णय लेते हुए बागी विधायकों के लिए एक अलग स्थान निर्धारित किया। बागी विधायक खुद को न तो सत्तापक्ष का हिस्सा मानते हैं और न ही विपक्ष का। उनका कहना है कि वे अपनी विचारधारा के साथ खड़े हैं और स्पीकर के निर्णय का सम्मान करते हैं। चेतन आनंद ने कहा कि सीटिंग अरेंजमेंट पहले से ही तय था और इसमें किसी प्रकार का विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार के गठन के समय वे सत्ता पक्ष के साथ बैठे थे, लेकिन अब उनकी स्थिति अलग है। बागी विधायकों ने यह भी कहा कि कभी-कभी मंत्रियों से बातचीत के लिए सत्तापक्ष की ओर जाना स्वाभाविक है, लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया गया। बिहार विधानसभा में सीटिंग अरेंजमेंट को केवल व्यवस्था का हिस्सा नहीं माना जा सकता, बल्कि यह राजनीतिक संदेश भी देता है। बागी विधायकों को अलग स्थान देकर यह संदेश दिया गया है कि उनकी स्थिति न पक्ष में है, न विपक्ष में। यह बदलाव सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच खिंचाव को भी दिखाता है। बागी विधायकों की भूमिका को लेकर सत्ता और विपक्ष, दोनों पक्ष सतर्क हैं। इस घटनाक्रम ने विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बना दिया है। स्पीकर ने अपने निर्णय से न केवल सदन की व्यवस्था बहाल की, बल्कि एक संतुलन भी स्थापित किया। स्पीकर ने स्पष्ट कर दिया कि बागी विधायकों के लिए सीटिंग अरेंजमेंट में बदलाव सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए किया गया है। हंगामे के बाद अब सदन में व्यवस्था बहाल करने की कोशिश की जा रही है ताकि शीतकालीन सत्र सुचारु रूप से चल सके। बिहार विधानसभा में बागी विधायकों के लिए नई सीटिंग व्यवस्था ने न केवल सदन के भीतर की राजनीतिक स्थिति को स्पष्ट किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने संतुलन बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि बागी विधायकों की स्थिति सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों के लिए चुनौती बनी रहेगी।