पटना में एसटीएफ ने राजद विधायक के भाई को उठाया, जदयू नेता के हत्या मामले में किया गिरफ्तार
पटना। पटना में एक लंबे समय से फरार चल रहे मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी ने 2013 के चर्चित जदयू नेता सुमरिक यादव हत्याकांड को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बुधवार को इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी विवेक यादव को गिरफ्तार किया। विवेक यादव, जो राजद विधायक रंजीत यादव के भाई और अतरी के पूर्व विधायक राजेंद्र यादव के बेटे हैं, पर इस गंभीर अपराध का आरोप है। यह मामला वर्ष 2013 का है, जब पटना के बथानी बाजार में जदयू नेता सुमरिक यादव की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। घटना के दौरान सुमरिक यादव को लाठी-डंडों से पीट-पीटकर मारा गया। यह हत्याकांड न केवल जदयू और राजद के बीच तनाव का कारण बना, बल्कि क्षेत्र में कानून-व्यवस्था के प्रति जनता के विश्वास को भी कमजोर किया। इस हत्याकांड में कई लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें प्रमुख नाम विवेक यादव का था। विवेक यादव घटना के बाद से ही फरार चल रहे थे और पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए थे। एसटीएफ ने कड़ी मेहनत और गुप्त सूचना के आधार पर आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया। विवेक यादव का नाम इस केस में आने के बाद यह मामला और भी संवेदनशील हो गया था। उनके राजनीतिक परिवार के कारण इस हत्याकांड को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और दबाव से जोड़कर देखा गया। विवेक के पिता राजेंद्र यादव पूर्व विधायक रहे हैं, जबकि उनके भाई रंजीत यादव वर्तमान में राजद से विधायक हैं। इस राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण पुलिस और प्रशासन पर मामले को निष्पक्षता से जांचने का दबाव था। विशेष टास्क फोर्स ने इस गिरफ्तारी को अंजाम देकर न केवल लंबे समय से अधूरी जांच को गति दी है, बल्कि एक बार फिर अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता को साबित किया है। यह गिरफ्तारी पुलिस की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि विवेक यादव एक लंबे समय तक कानून से बचते रहे। उनके फरार रहने के दौरान पुलिस को कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा था। इस मामले ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। जदयू और राजद के बीच चल रहे तनाव के बीच यह गिरफ्तारी एक संवेदनशील मुद्दा बन सकती है। जदयू नेता सुमरिक यादव की हत्या को लेकर पहले भी दोनों दलों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलता रहा है। विवेक यादव की गिरफ्तारी से यह मामला एक बार फिर गरमा सकता है।अब जब विवेक यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायिक प्रक्रिया कितनी तेजी से आगे बढ़ती है। सुमरिक यादव के परिवार और समर्थकों को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। वहीं, राजद की ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया आने पर राजनीतिक घटनाक्रम और तेज हो सकता है। 2013 का यह मामला न केवल बिहार की राजनीति बल्कि कानून-व्यवस्था की स्थिति को भी दर्शाता है। एसटीएफ की कार्रवाई से यह साफ है कि कानून अपने तरीके से काम करता है, भले ही इसमें समय लगे। विवेक यादव की गिरफ्तारी से पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है, वहीं यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह मामला राजनीतिक प्रभाव से कितना अछूता रह पाता है।