आरजेडी विधायक रणविजय साहू को मिली जान से मारने की धमकी, मामले की जांच में जुटी पुलिस
पटना। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विधायक और प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू को जान से मारने की धमकी मिलने के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। यह घटना मंगलवार रात की है, जब विधायक साहू को उनके मोबाइल फोन पर धमकीभरा कॉल आया। इस मामले में उन्होंने पटना के कोतवाली थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन तीन दिन बीतने के बाद भी आरोपी की पहचान नहीं हो पाई है। रणविजय साहू, जो समस्तीपुर जिले के मोरवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, मंगलवार रात करीब 9:39 बजे पटना के वीरचंद पटेल पथ स्थित अपने आवास पर थे। उसी समय उनके मोबाइल फोन पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। विधायक उस समय किसी अन्य कॉल पर व्यस्त थे, इसलिए वह कॉल नहीं उठा सके। इसके बाद उन्होंने तुरंत उस नंबर पर कॉल बैक किया। कॉल बैक करने पर दूसरी ओर से व्यक्ति ने गाली-गलौज शुरू कर दी। विधायक ने जब खुद का परिचय दिया, तो कॉलर ने न केवल अपशब्दों का इस्तेमाल किया, बल्कि उन्हें एक विशेष स्थान पर बुलाने की धमकी दी। कॉलर ने साफ कहा कि अगर वह बताए गए स्थान पर नहीं आए, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे और उनकी जान भी जा सकती है। इस घटना की सूचना विधायक ने तुरंत पटना के एसएसपी को दी। साथ ही उन्होंने कोतवाली थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। हालांकि, तीन दिन बीतने के बावजूद पुलिस धमकी देने वाले व्यक्ति की पहचान नहीं कर पाई है। रणविजय साहू ने इसे पुलिस की नाकामी बताते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने गंभीर मामले में भी त्वरित कार्रवाई नहीं की जा रही है। कोतवाली विधि व्यवस्था डीएसपी, कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा कि शिकायत मिली है और पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है। कॉलर की पहचान के लिए तकनीकी टीम को भी लगाया गया है, और जल्द ही आरोपी को पकड़ने का दावा किया जा रहा है। रणविजय साहू आरजेडी के वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव का पद संभालते हैं। वह समस्तीपुर जिले के मोरवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। यह घटना केवल एक जनप्रतिनिधि को धमकी देने का मामला नहीं है, बल्कि इसे बिहार की कानून व्यवस्था और राजनीतिक माहौल के लिए गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी के नेताओं ने भी इस घटना की निंदा की है। आरजेडी के अन्य नेताओं ने कहा कि इस तरह की घटनाएं राज्य में डर का माहौल पैदा करने की कोशिश हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मामले की जल्द से जल्द जांच हो और आरोपी को सख्त सजा दी जाए। रणविजय साहू ने अपनी शिकायत में धमकी देने वाले कॉलर का मोबाइल नंबर पुलिस को सौंप दिया है। इसके बावजूद, आरोपी की पहचान में हो रही देरी पर सवाल उठ रहे हैं। तकनीकी जांच और कॉल ट्रेसिंग जैसे आधुनिक साधनों के बावजूद पुलिस की सुस्ती को लेकर विधायक ने नाराजगी व्यक्त की है। यह घटना बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर नई बहस छेड़ रही है। एक तरफ सरकार अपराध नियंत्रण के दावे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ इस तरह की घटनाएं सवाल खड़े कर रही हैं। जनप्रतिनिधियों को धमकी देना न केवल उनके जीवन के लिए खतरा है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर भी प्रहार है। रणविजय साहू को मिली धमकी की यह घटना न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का मामला है, बल्कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का भी आईना दिखाती है। पुलिस को चाहिए कि वह त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी की पहचान करे और उसे गिरफ्तार कर सख्त सजा दे। साथ ही, सरकार और प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह घटना जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा और जनता के बीच प्रशासन की जवाबदेही बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। समय पर कार्रवाई से न केवल विधायक बल्कि आम जनता का भी प्रशासन में विश्वास बहाल किया जा सकता है।