November 8, 2024

मंत्री मदन सहनी बोले- बाल गृहों के बच्चे-बच्चियां भी सामान्य स्कूलों में पढ़ेंगे

* समाज कल्याण विभाग द्वारा राज्य में 12 जगहों पर वृहद आश्रय गृह का होगा निर्माण, 354.54 करोड़ राशि स्वीकृत
* राज्य स्तरीय बाल दरबार में बच्चे-बच्चियों ने मंत्री को सौंपा मांग पत्र


पटना। अगले सत्र से बाल-बालिका गृह में आवासित बच्चे-बच्चियां भी अन्य बच्चों की तरह सामान्य स्कूलों में बाहर जाकर पढ़ सकेंगे। विभाग द्वारा बच्चों को सुरक्षित स्कूल पहुंचाने एवं गृहों तक लाने की भी व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा कौशल विकास के साथ-साथ शेल्टर होम के बच्चों को बालिग होने पर रोजगार से जोड़ने हेतु उद्योग एवं अन्य विभागों से समन्वय स्थापित किया जाएगा। उक्त बातें समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने विश्व बाल दिवस के अवसर पर अधिवेशन भवन में आयोजित बाल दरबार कार्यक्रम के दौरान कहा।
शुक्रवार को समाज कल्याण विभाग एवं यूनिसेफ द्वारा बाल अधिकार सप्ताह (14 से 20 नवंबर) के दौरान 29 जिलों में आयोजित बाल दरबार के अंतिम पड़ाव में राज्य स्तरीय बाल दरबार का आयोजन किया गया। इसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए हुए बच्चे-बच्चियों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस दौरान जिलों में बाल दरबार परामर्शी प्रक्रिया के तहत बाल-बालिका गृहों और समुदाय के अलग-अलग तबकों के बच्चों व किशोर-किशोरियों द्वारा संकलित चार्टर आॅफ डिमांड्स को बच्चों द्वारा मंत्री को सौंपा गया। इस मौके पर स्कूलों में स्थापित मीना व राजू मंच पर आधारित पोस्टर्स को भी लांच किया गया। इस दौरान बच्चों ने मंत्री और उपस्थित अधिकारियों से शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, अधिकारों की सुनिश्चितता से जुड़े सवाल पूछे। साथ ही लैंगिक भेदभाव, दहेज प्रथा, बाल विवाह, बाल श्रम जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी बच्चों ने अपनी बात रखी।


पटना की रूचि कुमारी ने विद्यालयों में शौचालय की साफ-सफाई का मुद्दा उठाते हुए कहा कि गंदगी की वजह से हम लड़कियां स्कूल में शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पातीं, जिसके कारण हमें स्कूल जाने में कठिनाई होती है। इसका अविलंब निदान किया जाना चाहिए। प. चंपारण की रुखसाना खातून ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के बारे में जागरूकता फैलाने की अपील की।
बाल अधिकार समझौते की चर्चा करते हुए समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसी कड़ी में सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत बीपीएससी और यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाली लड़कियों को आगे की तैयारी के लिए क्रमश: 50 हजार और 1 लाख की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है।


दहेज प्रथा को लेकर एक बच्ची के सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर ने कहा कि जब समाज में लड़का-लड़की में विभेद करना बंद हो जाएगा और बच्चियां शिक्षित, सजग एवं सशक्त होंगी तो दहेज जैसी समस्याओं पर स्वत: रोक लग जाएगी। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत प्रताड़नाओं के खिलाफ हर जिले में स्थापित हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटर को जरूर संपर्क करें।
समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार ने कहा कि हम आवासीय सुविधाएं बेहतर करने के साथ साथ गृहों के बच्चों के कौशल विकास और उच्च शिक्षा पर भी फोकस कर रहे हैं। राज्य में 12 जगहों पर वृहद आश्रय गृह का निर्माण किया जा रहा है। 5 एकड़ में बनाने वाले इन गृहों के लिए राज्य सरकार द्वारा 354.54 करोड़ राशि की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके अंतर्गत हर गृह में देखरेख की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस एकीकृत आवासीय व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान वीणा कुमारी, एसपी, कमजोर वर्ग, बिहार राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य सुनंदा पांडे, बीरेन्द्र कुमार, संयुक्त श्रम आयुक्त और यूनिसेफ के अधिकारी मौजूद रहे। धन्यवाद ज्ञापन समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक रमेश झा ने किया।
चार्टर आफ डिमांड्स में शामिल मुख्य मांगें
– सभी विषयों के लिए शिक्षक की नियुक्ति हो
– कंप्यूटर शिक्षा और स्मार्ट क्लास की सुविधा मिले
– स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन और इस्तेमाल के बाद नष्ट करने की व्यवस्था होनी चाहिए
– स्कूलों और बाल गृहों में चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए
– बाल गृह में रहने वाले बच्चों को बाहर ले जाने की व्यवस्था होनी चाहिए
– बाल विवाह, बाल श्रम, मानव तस्करी एवं घरेलू हिंसा की रोकथाम हेतु जन जागृति, कठोर नियमन और प्रशासनिक तत्परता सुनिश्चित हो
– सरकार के सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर जागरूकता फैलाई जाए

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