मंत्रिमंडल विस्तार का भाजपाई फार्मूला-20 मंत्री भाजपा के,11 जदयू के,2 हम तथा 2 वीआईपी के, गतिरोध जारी
पटना।बिहार में नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का मामला भाजपा तथा जदयू के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित ना होने की वजह से अधर में लटका हुआ है।सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में साफ़ तौर पर कहा है कि भाजपा की वजह से मंत्रिमंडल विस्तार में देर हो रही है।नहीं तो वे अभी तक मंत्रिमंडल का यथोचित का विस्तार कर चुके होते।प्रदेश में नीतीश मंत्रिपरिषद में प्रावधानों के मुताबिक मंत्रियों की अधिकतम संख्या 35 हो सकती है।ऐसे में विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि भाजपा अपने कोटे से 20 मंत्री बनाना चाहती है।जिस चलते मामला अभी भी अनसुलझा हुआ है। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण भाजपा 20 मंत्री अपने कोटे से बनाना चाहती है। वहीं जदयू के तरफ से 11 तथा हम एवं वीआईपी पार्टी के लिए दो-दो सीट छोड़ने को तैयार है।विश्वस्त सूत्रों ने दावा किया है कि बिहार भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस संबंध में सीएम नीतीश कुमार को अपनी मंशा से अवगत करा दिया है।हालांकि भाजपा के द्वारा दिए जा रहे इस कथित पेशकश को जदयू के द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है।यही अहम कारण है की सरकार गठन के लगभग दो माह पूरे होने को है।मगर अभी तक सरकार द्वारा कैबिनेट का विस्तार नहीं किया जा सका है।मिल रही खबरों के मुताबिक हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी तथा वीआईपी पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी भी मंत्रिमंडल विस्तार में अपनी पार्टी के विधायकों के लिए एक-एक सीट और चाहते हैं। दरअसल दोनों ही पार्टी से किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। 16 नवंबर को गठित मंत्रिमंडल में हम की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के विधान पार्षद पुत्र संतोष कुमार सुमन को मंत्री बनाया गया। वहीं वीआईपी पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी,जो फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं है।उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।दोनों ही पार्टी के चार-चार विधायक हैं।ऐसे में दोनों पार्टी अपने विधायकों के लिए एक-एक सीट पर निश्चित दावा करेगी। वहीं 125 सीटों के बहुमत वाली सरकार में भाजपा के पास 75 विधायक हैं,वहीं जदयू के पास 43। इस कारण भाजपा अपने कोटे से 20 विधायकों को मंत्री बनाना चाहती है। हालांकि इसमें कुछ विधान पार्षद भी मंत्री बन सकते हैं।विश्वस्त सूत्रों ने जानकारी दी है कि भाजपा मंत्रिमंडल में 60% सीट पर अपना दावा समझती है।जो कि मंत्रिपरिषद के अधिकतम 35 के संख्या के हिसाब से 21 होती है।मगर भाजपा अपने पेशकश में मंत्रिपरिषद में 20 सीट चाहती है।ऐसे में हम तथा वीआईपी को दो-दो से देने के बाद जदयू के पास अपने कोटे में मात्र 11 बचेंगे।जिस कारण मंत्रिमंडल के विस्तार का मामला अभी तक उलझा हुआ है। गौरतलब है कि भाजपा की ओर से प्रभारी भूपेंद्र यादव तथा दोनों उपमुख्यमंत्री तारा किशोर प्रसाद एवं रेणु देवी के द्वारा वक्तव्य दिया गया है कि मंत्रिमंडल का विस्तार को लेकर कोई पेंच नहीं है।जबकि सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि भाजपा के वजह से देरी हो रही है।देखना लाजिमी होगा कि भाजपा तथा जदयू के थिंक टैंक किस प्रकार इस गुत्थी को हल करते हैं।