ममता बनर्जी का पीएम को पत्र, कहा- हम आरोपियों की सजा के लिए काम कर रहे, पर आपका जवाब नहीं मिल रहा
कोलकाता। ममता बनर्जी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हत्या और रेप की बर्बर घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कड़े कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पहले के पत्र का जवाब उन्हें प्रधानमंत्री की तरफ से नहीं मिला है इसलिए उन्होंने दूसरा पत्र लिखा है। बनर्जी ने लिखा, मैंने 22 अगस्त को आपको पत्र लिखा था और रेप की जघन्य घटनाओं के खिलाफ केंद्र द्वारा कड़े कानून बनाने और आरोपियों को सजा दिलवाने की मांग की थी। हालांकि मुझे अब तक पत्र का जवाब नहीं मिला। ममता ने कहा, भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से मुझे जवाब जरूर दिया गया था। हालांकि यह विषय की गंभीरता के मुताबिक नहीं था। मामले की गंभीरता को देखते हुए इस तरह के सामान्य जवाब की अपेक्षा नहीं की जा सकती। इसके अलावा हमारे राज्य में इस मामले में कुछ बड़े काम किए गए हैं, जवाब में उनको भी नजरअंदाज किया गया था। ममता बनर्जी ने पत्र में कहा, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट को लेकर बात करें तो 10 विशेष पॉक्सो कोर्ट की मंजूरी राज्य सराकर ने दी है। इसके अलावा 88 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट और 62 पॉक्सो कोर्ट काम कर रहे हैं जो कि राज्य के फंड पर ही चलते हैं। केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के मुताबिक फास्ट ट्रैक कोर्ट में न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की जानी थी। हालांकि माननीय हाई कोर्ट का कहना है कि इन अदालतों में भी स्थायी नियुक्ति होनी चाहिए। ऐसे में आपके दखल की जरूरत है ताकि केंद्र सरकार जरूरी ऐक्शन ले सके। चइसके अलावा राज्य में हेल्पलाइन 112 और 1098 अच्छी तरह काम कर रही है। आपात स्थिति में डायल 100 भी लोगों की मदद करता है। बनर्जी ने कहा, मैं फिर से केंद्र सरकार से मांग करती हूं कि जघन्य अपराधों को लेकर कड़ा कानून बनाया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि समय सीमा के अंदर पीड़ितों को न्याय मिले। बता दें कि इससे पहले ममता बनर्जी के पत्र का जवाब केंद्रीय महिला एवं बालविकास मंत्रालय की तरफ से दिया गया था। सरकार ने कहा था कि पश्चिम बंगाल को रेप और यौन अपराधके मामलों की सुनवाई के लिए 123 फास्ट ट्रैक कोर्ट आवंटित किए गए जिनमें से एक भी काम नहीं कर रहा है। केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णआ देवी ने ममता बनर्जी के पत्र का जवाब देते हुए कहा था कि भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा था कि टीएमसी सरकार ने केंद्र द्वारा बच्चों और महिलाओं की परेशानी पर फोन का जवाब देने के लिए स्थापित राष्ट्रीय हेल्पलाइन को भी लागू नहीं किया।