उत्साह व ओज के लोकप्रिय कवि थे पं रामचंद्र भारद्वाज, जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन
पटना(अजीत)। राज्यसभा के सदस्य व बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधान मंत्री रहे विद्वान साहित्यकार पं रामचंद्र भारद्वाज उत्साह और ओज के अत्यंत लोकप्रिय और प्रभावशाली कवि थे। मंचों पर उनका काव्य-पाठ अत्यंत प्रभावशाली हुआ करते थे। जीवन में उत्साह का सृजन करने वाली उनकी कविताएँ श्रोताओं के हृदय को स्पर्श करती थी। यह बातें आज पं भारद्वाज की जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। डॉ. सुलभ ने कहा कि उनकी काव्य-कल्पनाएँ मुग्ध करती हैं। अपनी रचनाओं में उन्होंने बहुत ही लुभावने शब्दों का प्रयोग किया। वे उस समय के कवि थे, जब हिन्दी के विस्तृत आसमान पर दिनकर, प्रभात, नेपाली, जानकी वल्लभ शास्त्री जैसे बिहार के अनेक नक्षत्र दैदिप्यमान थे। उन विराट नक्षत्रों के बीच उनकी प्रभा कभी मलिन नहीं पड़ी। वही इस समारोह का उद्घाटन करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सी पी ठाकुर ने कहा कि भारद्वाज जी जैसे हिन्दी-सेवियों के कारण, हिन्दी जगत में बिहार का नाम आदर से लिया जाता है। वही इस समारोह के मुख्यअतिथि व बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में सह-आचार्य डॉ. अशोक कुमार ज्योति ने कहा कि साहित्य और राजनीति में पं रामचंद्र भारद्वाज जी का अवदान डॉ. शंकर दयाल सिंह जी की इस उक्ति के समान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राजनीति की धूप जब मुझे क्लांत करती है, तो साहित्य मुझे शीतल छांव प्रदान करता है। भारद्वाज जी का साहित्यकार सदा उनकी राजनीति पर भारी रहा। वही इस सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. मधु वर्मा, अवध बिहारी सिंह, डॉ. पूनम आनन्द, विभा रानी श्रीवास्तव तथा डॉ. मनोज गोवर्द्धनपुरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वही इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वही इस मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया। अमन वर्मा, नवल किशोर सिंह, विजय कुमार दिवाकर, प्रेम प्रकाश, दुःख दमन सिंह, मनोज कुमार आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।