प्रशांत किशोर का सरकार पर हमला, कहा- सरकार हमारी बात सुनेगी पर थोड़ा समय लगेगा, चुनाव में सब पता चलेगा
पटना। गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के अभ्यर्थियों के समर्थन में शनिवार को राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों के साथ हुए अन्याय का जवाब नीतीश कुमार को देना होगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि 2025 के विधानसभा चुनाव में जनता सरकार के हर अन्याय का हिसाब लेगी।
प्रशांत किशोर का सरकार पर सीधा प्रहार
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार भले ही अभी उनकी बातों को नजरअंदाज कर रही हो, लेकिन यह स्थिति ज्यादा समय तक नहीं टिकेगी। उन्होंने कहा, “आज भले ही सरकार अभ्यर्थियों की आवाज नहीं सुन रही हो, लेकिन चुनाव के दौरान यह विरोध सरकार पर भारी पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर अनशन का असर सरकार पर नहीं पड़ रहा तो अधिकारी बातचीत करने और अनशन खत्म करने का अनुरोध क्यों कर रहे हैं।
बीपीएससी परीक्षा को लेकर विरोध
बीपीएससी 70वीं पीटी की परीक्षा में हुए विवाद और पेपर लीक मामले पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह केवल एक परीक्षा का मामला नहीं, बल्कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का सवाल है। उन्होंने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि पूरी परीक्षा रद्द कर सभी उम्मीदवारों का दोबारा परीक्षा आयोजित किया जाना चाहिए। हालांकि, आज हो रही पुनर्परीक्षा (री-एग्जाम) का विरोध करने से प्रशांत किशोर ने इनकार किया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य सभी अभ्यर्थियों को न्याय दिलाना है।
नीतीश कुमार की सरकार पर तीखा हमला
एनडीए गठबंधन की सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “अगर नीतीश कुमार हमारी बात नहीं सुनते, तो आगामी चुनाव में उन्हें सब पता चलेगा। जनता उनके एक-एक जुल्म का हिसाब लेगी।” उन्होंने यह भी दावा किया कि 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी 20 सीटों से ज्यादा नहीं जीत पाएगी। प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका आंदोलन केवल अभ्यर्थियों के लिए न्याय की लड़ाई नहीं है, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक जागरूकता का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन का असर न केवल राज्य की मौजूदा राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि चुनावों में भी दिखेगा। प्रशांत किशोर के इस बयान और आंदोलन ने बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। उनकी आलोचना और भविष्यवाणी ने नीतीश सरकार के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार इस दबाव का सामना कैसे करती है और अभ्यर्थियों की समस्याओं का समाधान कब तक होता है।