सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर लालू की मुश्किलें बढ़ी, मुजफ्फरपुर कोर्ट में परिवाद दर्ज, 24 को सुनवाई
पटना। हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इसका कारण उनके द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर किया गया एक पोस्ट है। लालू ने बिहार में बढ़ रही दुष्कर्म की घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक पोस्ट में ‘बिहार=बलात्कार’ लिखा था। यह पोस्ट उन्होंने 32 बार शेयर किया, जिसके बाद इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया। यह मामला तब शुरू हुआ जब 28 सितंबर को बिहार में विपक्ष के नेता और लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने बिहार की डबल इंजन सरकार पर निशाना साधते हुए दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर सवाल उठाए थे। तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने सरकार से बिहार में दुष्कर्म की घटनाओं पर जवाब मांगा था। इसी संदर्भ में लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी के पोस्ट को शेयर करते हुए बिहार की स्थिति को लेकर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बिहार को बलात्कार से जोड़ते हुए ‘बिहार=बलात्कार’ लिखा, जो कई लोगों को आपत्तिजनक और अस्वीकार्य लगा। इस पोस्ट के कारण मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता सुधीर ओझा ने लालू के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किया है। ओझा का कहना है कि लालू यादव के इस पोस्ट से बिहार के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और यह एक तरह से राज्य का अपमान है। ओझा ने इस मामले में कोर्ट से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि लालू का यह पोस्ट एक बिहारी के लिए अपमानजनक और अनुचित है। कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सुधीर ओझा के परिवाद को स्वीकार कर लिया है और सुनवाई के लिए 24 अक्टूबर की तारीख तय की है। इस केस के कानूनी पहलू और लालू यादव की राजनीतिक स्थिति पर इसका प्रभाव देखा जाएगा। यह विवाद तब और भी गंभीर हो गया जब यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया। लालू प्रसाद यादव का इस तरह का बयान और फिर उस बयान का बार-बार सोशल मीडिया पर दोहराव राजद की राजनीति और उनकी छवि पर गंभीर असर डाल सकता है। विरोधियों ने इस बयान को लेकर लालू और राजद पर हमला बोल दिया है, जबकि राजद समर्थक इसे एक राजनीतिक चाल बताते हुए सफाई दे रहे हैं कि यह बयान सरकार की नाकामी को उजागर करने के लिए दिया गया था। बिहार में राजनीतिक माहौल पहले से ही गर्म है, और इस घटना ने इसे और भी जटिल बना दिया है। आगामी चुनावों को देखते हुए यह मामला राजद के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर लालू यादव की स्थिति और उनके राजनीतिक कैरियर के संदर्भ में। अब सभी की नजर 24 अक्टूबर को होने वाली कोर्ट की सुनवाई पर टिकी है, जो यह तय करेगी कि इस मामले का क्या निष्कर्ष निकलेगा।