February 22, 2025

एमएलसी चुनाव के लिए जदयू ने ललन प्रसाद को बनाया उम्मीदवार, निर्विरोध होगा निर्वाचन

  • अति पिछड़ा वोट बैंक के लिए सीएम नीतीश ने खेल बड़ा कार्ड, धानुक समाज से बनाया उम्मीदवार, समता पार्टी के समय से है साथ

पटना। बिहार की एक सीट पर होने वाले विधान परिषद उपचुनाव के लिए जदयू उम्मीदवार ने अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया है। जेडीयू ने समता पार्टी के समय के ललन प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। ललन प्रसाद अतिपिछड़ा समाज के धानुक जाति से आते हैं और सीएम नीतीश के करीबी बताए जा रहे हैं। लालू परिवार के करीबी आरजेडी के पूर्व एमएलसी सुनील सिंह की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई विधान परिषद की एक सीट एनडीए में जेडीयू के खाते में आई है। जेडीयू की तरफ से इस सीट के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया गया है। जेडीयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में एनडीए ने ललन प्रसाद को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। इस मौके पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के साथ गठबंधन के अन्य नेता मौजूद रहे। एनडीए उम्मीदवार ललन प्रसाद ललन प्रसाद शेखपुरा के रहने वाले हैं। ललन प्रसाद जदयू के जमीनी नेता हैं और छात्र जीवन से ही सीएम नीतीश कुमार के साथ राजनीति करते आए हैं। ललन प्रसाद अति पिछड़ा समाज से आते हैं और धानुक जाति के हैं। 52 साल के ललन प्रसाद पार्टी के स्थापना काल से जनता दल यूनाइटेड से जुड़े हुए हैं। 2001 से 2005 तक घाट कुसुंबा प्रखंड के जेडीयू अध्यक्ष रहे। साल 2009 से 2013 तक शेखपुरा में जेडीयू के जिला उपाध्यक्ष रहे। इसके साथ ही स्थावां के विधानसभा प्रभारी का दायित्व भी पार्टी ने उन्हें सौंपा था। ललन प्रसाद शेखपुरा के जिला परिषद सदस्य और उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वह शेखपुरा में पार्टी और संगठन विस्तार के लिए लगातार सक्रिय रहे हैं। जेडीयू नेता ललन प्रसाद समता पार्टी के गठन के समय से ही काफी सक्रिय रहे और पूरी निष्ठा के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी और संगठन के लिए काम करते रहे। वह तीन बार जिला पार्षद रहे है और उनकी छवि एक बेदाग नेता के रूप में है। एनडीए ने सर्व सम्मति से उन्हें एमएलसी उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। शेखपुरा में जदयू को मजबूत करने के लिए वे जदयू के शुरुआती दौर से ही सक्रिय रहे हैं। खासकर नीतीश कुमार के नजदीकी के तौर पर इलाके में उनकी पहचान रही है।
अतिपिछड़ा वोटरों पर नजर
बिहार में धानुक वर्ग से आने वाले प्रभावशाली राजनेताओं की संख्या फ़िलहाल बेहद कम है। वहीं कुर्मी और धानुक को एक ही वर्ग की दो उपजातियां भी कहा जाता है। ऐसे में नीतीश कुमार ने धानुक जाति की एक बड़ी शिकायत को दूर करने की कोशिश के तहत ललन प्रसाद को अब उम्मीदवार बनाकर इस जाति के साथ ही अति पिछड़ा वर्ग को अपने लिए गोलबंद करने की बड़ी पहल की है।
क्यों हो रहा उपचुनाव
आरजेडी एमएलसी सुनील कुमार सिंह पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने और मिमिक्री करने आरोप लगा था। इसे लेकर विधान परिषद की आचार समिति ने बड़ा फैसला लिया था। जुलाई 2024 में सभापति को आचार समिति अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इसमें एमएलसी पर लगाए गए आरोपों को सही करार दिया गया और अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा कर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
एनडीए की जीत तय
विधानसभा कोटे की सीट होने के कारण संख्याबल के गणित से एनडीए के खाते में यह सीट जाना तय है। एनडीए के पास निर्दलीय लेकर 131 विधायक (मत) हैं। वहीं, आइएनडीआइए (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) के पास 111 विधायक हैं। एआइएमआइएम (आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन) का एक विधायक है।

You may have missed