बेगूसराय में कलयुगी बेटे ने की मां की हत्या, पैसों के विवाद होने पर ईंट से कूचकर मार डाला

बेगूसराय। बिहार के बेगूसराय जिले में एक बेटे ने मामूली बात पर अपनी मां की बेरहमी से हत्या कर दी। मां-बेटे के बीच पैसे को लेकर झगड़ा हुआ था, जिसके बाद उसने गुस्से में अपनी मां को ईंट से कूचकर मार डाला। घटना के समय मृतका का छोटा बेटा भी घर में था। वारदात सिंघौल थाना के पचंबा पछियारी टोल वार्ड-17 की है। बताया जा रहा है कि आरोपी बेटे को खुजली थी। वह दवा के लिए मां रुपए मांग रहा था। मां के पास पैसे नहीं थे तो व्यवस्था कर देने की बात कही थी। इसी बात से गुस्साए आरोपी बेटे ने उसकी जमकर पिटाई कर दी। मां की पिटाई देख छोटा बेटा दौड़कर वहां पहुंचा, लेकिन आरोपी ने घर के दरवाजे बंद कर दिए और आंगन में रखे ईंट से कूच-कूचकर मां की जान ले ली। वारदात के बाद बेटा भागने की फिराक में था, लेकिन गांव वालों ने पकड़ लिया और उसे पुलिस के हवाले कर दिया है। फिलहाल पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है और आरोपी से पूछताछ कर रही है। मृतका की पहचान स्वर्गीय बमबम सिंह की पत्नी नूतन देवी (43) के रूप में हुई है। जो गांव के शिव मंदिर की साफ-सफाई और पूजा-पाठ के बाद घर आई थी। मां के मंदिर से आने के बाद ही उसके बेटे आनंद कुमार (23) से महिला का विवाद शुरू हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि आनंद कुमार ने अपनी मां की जान ले ली। हत्या के बाद वह छत के रास्ते भागने लगा, लेकिन गांव वालों ने उसकी पीछा कर पकड़ लिया। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। मामले की छानबीन की जा रही है। आक्रोशित लोगों ने आरोपी बेटे को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि नूतन देवी के पति बमबम सिंह की 2010 में गुजरात में ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। जिसके बाद बेटे आनंद कुमार और अनुभव कुमार (17) को किसी तरह से पाला। बड़ा बेटा करीब दो साल से मानसिक रूप से परेशान रह रहा था। नूतन देवी किसी तरह अपने दोनों बेटे का पालन-पोषण कर रही थी। एक महीना पहले उसने अपने बड़े बेटे आनंद की भागलपुर के मोरवा में शादी की थी, लेकिन एक सप्ताह के बाद ही आनंद की पत्नी उसके व्यवहार और बेरोजगारी से परेशान होकर छोड़कर चली गई। तब से आनंद कुछ और परेशान रहता था। आरोपी आनंद मंगलवार को दिल्ली गया था, कल शाम वहां से लौटा था। मृतका के छोटे बेटे अनुभव ने कहा कि पैसे मांगने के बाद मेरा भाई मां को मारने लगा। गला दाबने लगा। हम बचाने के लिए दौड़े तो गेट लगा लिया। गेट भी लोहा का था। काठ का रहता तो तोड़ देते।

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