महागठबंधन में टूट पर बीजेपी का तंज, प्रेम कुमार बोले- खेल करने वालों के लिए अभी बस ट्रेलर चला है
पटना। बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही महागठबंधन में लगातार टूट हो रही है। राजद और कांग्रेस में हुई टूट से मंत्री प्रेम कुमार काफी खुश हैं। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ये तो ट्रेलर है, पूरी फिल्म अभी बाकी है। विपक्ष का खेला उल्टा हो गया है। मंत्री प्रेम कुमार ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि आने वाले समय में पूरी राजद और कांग्रेस बिखर जाएगी और सभी लोग भाजपा पर भरोसा जताएंगे। प्रेम कुमार ने कहा कि सभी विधायक प्रधानमंत्री के कामों में विश्वास रखते हैं, उनके प्रति आस्था व्यक्त किया है, इसलिए उन्हें सत्ता पक्ष की तरफ मौका दिया गया है। मंत्री प्रेम कुमार से जब पत्रकारों ने पूछा कि इस टूट का असर क्या एमएलसी चुनाव में देखने को मिलेगा, जिसपर उन्होंने कहा कि कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्यसभा का चुनाव हो गया है, अब विधान परिषद का भी चुनाव हो जाएगा। बस समय का इंतजार करिए। पहले राजद के तीन विधायक सत्ता पक्ष की तरफ आ गए थे। वहीं बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान एक बार फिर से दो कांग्रेस के विधायक और एक राजद के विधायक सत्ता पक्ष की तरफ आ गए हैं, यानी अब तक कुल छह विधायक महागठबंधन से टूट चुके हैं। इन्होंने खुद को पीएम मोदी से इंसपायर बताया है। बिहार विधानसभा में टूट से पहले महागठबंधन के पास 114 विधायक थे। तो वहीं एनडीए के पास 128 विधायक, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राजद के तीन विधायक चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रहलाद यादव सत्ता पक्ष की तरफ आ गए। वहीं कल जिस प्रकार से कांग्रेस के मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरभ के साथ राजद की एक विधायक संगीता कुमारी सत्ता पक्ष की तरफ आ गए हैं, उससे महागठबंधन की मुश्किल बढ़ने लगी है। ऐसे में जहां महागठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 108 हो गई है, तो वहीं एनडीए के तरफ विधायकों की संख्या बढ़कर 134 पर पहुंच गई है। इन बागी विधायकों का विधानसभा पर असर पड़ेगा। पहले महागठबंधन में 114 विधायक थे, जबकि अब 108 हो गए हैं। वहीं पहले एनडीए में 128 विधायक थे, जबकि अब 134 हो गए हैं। एआईएमआईएम के एक विधायक यदि महागठबंधन का समर्थन भी कर दे, तब भी एक और विधायक की जरूरत पड़ेगी। बिहार में 11 सीटों पर एमएलसी का चुनाव होना है। एक सीट के लिए कम से कम 22 विधायकों की जरूरत पड़ेगी, उस हिसाब से महागठबंधन को 5 सीट के लिए कम से कम 110 विधायकों की जरूरत है, लेकिन इसमें दो विधायक कम गए हैं, इसलिए 5 सीट निकालना महागठबंधन के लिए मुश्किल बढ़ाने वाला है। यदि आगे फिर टूट हुई, जिसके कयास लगाए जा रहे हैं तब एमएलसी चुनाव में जबरदस्त असर पड़ना तय माना जा रहा है। ऐसे बिहार में नीतीश कुमार की कोशिश रही है कि चुनाव की नौबत नहीं आए। अब बदले समीकरण में देखना है कि एनडीए के तरफ से कितना उम्मीदवार दिया जाता है। साथ ही राजद, कांग्रेस आगे टूट को किस प्रकार से रोकती है। वहीं जो विधायक बागी हुए हैं, उन पर दोनों दल क्या एक्शन लेते हैं।