पटना में पिता ने पढ़ाई के लिए डांटा तो गुस्से में ट्रेन के आगे कूदा युवक, दर्दनाक मौत
पटना। पटना-गया रेलखंड पर तारेगना रेलवे स्टेशन पर शनिवार को घटी एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। 22 वर्षीय युवक, आशीष कुमार, ने अपने पिता द्वारा पढ़ाई के लिए डांटने पर गुस्से में घर से निकलकर ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी। इस हृदयविदारक घटना ने परिवार और स्थानीय लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। शनिवार सुबह तारेगना रेलवे स्टेशन पर पटना-गया पैसेंजर ट्रेन (ट्रेन नंबर 03275) के आगे कूदकर आशीष कुमार ने अपनी जान दे दी। आशीष मणिचक निवासी पप्पू मिस्त्री उर्फ राज किशोर यादव का पुत्र था। घटना के समय स्टेशन पर मौजूद यात्रियों ने उसे रोकने का भरसक प्रयास किया, लेकिन आशीष ने किसी की एक न सुनी और ट्रेन के सामने छलांग लगा दी। जीआरपी (रेलवे पुलिस) ने घटना के बाद मौके पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए पटना भेज दिया। मृतक की पहचान आशीष कुमार के रूप में की गई। परिजनों ने बताया कि सुबह के समय आशीष को उसके पिता ने पढ़ाई को लेकर डांटा था। इसी बात से नाराज होकर उसने यह खौफनाक कदम उठाया। घटना के बाद आशीष के परिवार में मातम का माहौल है। पिता पप्पू मिस्त्री ने कहा, मैंने केवल उसकी भलाई के लिए उसे डांटा था। मेरी नीयत यह थी कि वह पढ़ाई पर ध्यान दे और अपने भविष्य को बेहतर बनाए। मुझे यह कतई अंदाजा नहीं था कि वह इतनी छोटी बात को लेकर ऐसा कठोर कदम उठाएगा। आशीष के इस कदम से परिवार और आसपास के लोग गहरे सदमे में हैं। परिजनों का कहना है कि यह घटना एक ऐसी सीख है, जो बताती है कि बच्चों के साथ संवाद और समझदारी से पेश आना कितना महत्वपूर्ण है। घटना के समय स्टेशन पर खड़े यात्रियों ने युवक को रोकने का प्रयास किया। यात्रियों ने शोर मचाया और उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह उनकी बातों को अनसुना करते हुए ट्रेन के आगे कूद गया। घटना के बाद रेलवे ट्रैक पर भीड़ जमा हो गई। स्थानीय लोगों ने इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मानसिक तनाव और भावनात्मक कमजोरियों को पहचानने और संभालने की जरूरत है। उनका मानना है कि ऐसी घटनाएं परिवारों में बच्चों के साथ बेहतर संवाद की कमी को दर्शाती हैं। घटना के तुरंत बाद जीआरपी थानाध्यक्ष मुकेश कुमार सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए पटना भेजा और परिजनों को घटना की जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि यह मामला स्पष्ट रूप से आत्महत्या का है। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद घटना की पुष्टि की जाएगी। यह घटना मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक संबंधों की ओर ध्यान खींचती है। अक्सर माता-पिता अपने बच्चों पर पढ़ाई और करियर को लेकर दबाव डालते हैं, जो कभी-कभी बच्चों के लिए असहनीय हो जाता है। ऐसे मामलों में भावनात्मक समझ और सहानुभूतिपूर्ण संवाद की जरूरत होती है। बिहार जैसे राज्यों में, जहां शिक्षा और रोजगार की समस्याएं व्यापक हैं, परिवारों में बच्चों पर बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव सामान्य है। लेकिन इस दबाव का मनोवैज्ञानिक प्रभाव कई बार गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है। इस घटना ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों और युवाओं के साथ संवाद और भावनात्मक जुड़ाव कितना जरूरी है। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि बच्चों को डांटने या फटकारने के बजाय उन्हें प्रोत्साहन और सकारात्मक समर्थन की जरूरत होती है। मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक सामंजस्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि घर का माहौल सहयोगात्मक और खुला हो। इसके साथ ही, स्कूलों और समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और काउंसलिंग सेवाओं को बढ़ावा देना भी बेहद जरूरी है। आशीष की इस त्रासदी ने केवल उसके परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना हमें सिखाती है कि हमें अपने परिवार और आसपास के लोगों की भावनात्मक स्थिति पर संवेदनशीलता से ध्यान देना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।