January 22, 2025

मणिपुर में जदयू ने सरकार से वापस लिया समर्थन, टेंशन में बीजेपी, बिहार में मची सियासी हलचल

  • क्या फिर से बिहार में पलटी मारेंगे नीतीश…इंडिया गठबंधन की उम्मीद बढ़ी…विधानसभा से पहले हुआ बड़ा खेल

पटना। मणिपुर में जनता दल (यूनाइटेड) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। जदयू के इस कदम के बाद पार्टी के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर अब विपक्ष में शामिल हो गए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सरकार पर इस फैसले का फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा के पास नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) और निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। यह समर्थन सरकार को विधानसभा में बहुमत बनाए रखने में मदद कर रहा है। 2022 के विधानसभा चुनावों में जदयू ने मणिपुर में छह सीटें जीती थीं। लेकिन पांच महीनों बाद, इन छह में से पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए, जिससे जदयू की स्थिति कमजोर हो गई। वर्तमान में मणिपुर विधानसभा में भाजपा के पास 37 विधायक हैं, जबकि कुल सदस्यों की संख्या 60 है। उन्हें NPF के पांच और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, जदयू के इस कदम के राजनीतिक मायने गहरे हैं। इससे पहले, मेघालय में कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने भी बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इन घटनाओं ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को नई चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर कर दिया है। मणिपुर की घटनाओं का असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ा है। जदयू, जो लंबे समय तक भाजपा का सहयोगी रहा है, ने पिछले कुछ वर्षों में भाजपा से दूरी बनाई है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में मतभेद उभरने की खबरें हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर बड़ा राजनीतिक दांव खेल सकते हैं। बिहार में नीतीश कुमार ने पहले भी राजनीतिक गठजोड़ बदलकर सत्ता समीकरणों को प्रभावित किया है। उन्होंने 2022 में भाजपा से गठबंधन तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई थी। अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर नीतीश कुमार फिर से एनडीए में शामिल होने या नए समीकरण बनाने की योजना बना सकते हैं। जदयू का मणिपुर में समर्थन वापसी का फैसला, साथ ही एनडीए के घटक दलों के भीतर मतभेद, भाजपा के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए, भाजपा को अपने सहयोगी दलों को एकजुट रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर, जदयू के इस फैसले ने भाजपा को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सोचने पर मजबूर कर दिया है। वहीं, नीतीश कुमार के राजनीतिक कदम बिहार और मणिपुर की सत्ता समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।

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