5 अक्टूबर को नीतीश ने पटना में बुलाई जदयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक, सियासत में मचा बवाल
पटना। बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल बढ़ गई है। जहां एक तरफ राज्य के कई इलाके बाढ़ से प्रभावित हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गतिविधियों ने भी जोर पकड़ लिया है। इसी संदर्भ में, जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू ने 5 अक्टूबर को पटना में अपनी राज्य कार्यकारिणी की एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं, और इसे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। इस बैठक को लेकर पटना में व्यापक तैयारियां की गई हैं, और शहर की सड़कों पर जदयू के पोस्टर और बैनर छाए हुए हैं। पटना के चौक-चौराहों और प्रमुख सड़कों को जदयू के पोस्टरों से पाट दिया गया है। इन पोस्टरों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारतीय राजनीति का “चाणक्य” बताया गया है, जो यह दर्शाता है कि पार्टी ने नीतीश कुमार की छवि को लेकर एक बार फिर से मजबूत प्रचार अभियान छेड़ दिया है। इसके अलावा, पोस्टरों में जदयू के अन्य प्रमुख नेताओं की तस्वीरें भी देखी जा सकती हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, मंत्री बिजेंद्र यादव, मंत्री विजय चौधरी, मंत्री अशोक चौधरी, राज्यसभा सांसद संजय झा, और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा शामिल हैं। पोस्टरों पर जदयू के प्रदेश सचिव का नाम लिखा गया है, जिन्होंने इस प्रचार अभियान की जिम्मेदारी संभाली है।
कार्यकारिणी की बैठक का एजेंडा और संभावनाएं
जदयू की यह राज्य कार्यकारिणी बैठक राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए पार्टी अपनी रणनीति को पहले से ही आकार देने में जुटी हुई है। कुछ दिनों पहले जदयू प्रवक्ताओं और अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ की बैठकें हो चुकी हैं, जो दर्शाती हैं कि पार्टी चुनाव की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इस राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी विशेष महत्व रखती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक में नीतीश कुमार कई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं, जो आगामी चुनाव की रणनीति और गठबंधन की दिशा को स्पष्ट करेंगे। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब सियासी गलियारों में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव समय से पहले भी हो सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह बैठक और भी अहम हो जाती है क्योंकि जदयू को अपनी चुनावी रणनीति को तेजी से तैयार करना होगा।
पटना में लगा नीतीश कुमार का “चाणक्य” वाला पोस्टर
नीतीश कुमार को पोस्टरों में भारतीय राजनीति का “चाणक्य” कहे जाने का सीधा संकेत है कि पार्टी आगामी चुनावों में उन्हें अपनी प्रमुख ताकत के रूप में पेश करना चाहती है। नीतीश कुमार की राजनीति में कुशलता और उनकी रणनीतिक समझ को देखते हुए यह उपमा दी गई है। “चाणक्य” के रूप में नीतीश कुमार का यह प्रचार जनता के बीच उनकी छवि को और भी मजबूत करने की कोशिश है। इस प्रचार के पीछे पार्टी का मुख्य उद्देश्य उनके नेतृत्व को बिहार के विकास और स्थिरता का प्रतीक बताना है।
चुनावी तैयारियों में जुटी जदयू
पार्टी की इस बैठक के पीछे मुख्य मकसद आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी कैडर को तैयार करना और चुनावी अभियान की रूपरेखा तैयार करना है। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि जदयू अन्य दलों के साथ गठबंधन को लेकर भी कुछ निर्णय ले सकता है। हालांकि, जदयू का राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ गठबंधन है, लेकिन भविष्य में चुनावी समीकरणों के तहत गठबंधन में कोई बड़ा बदलाव हो सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार इस बैठक में क्या फैसले लेते हैं और किस दिशा में पार्टी को आगे ले जाने की योजना बनाते हैं।
पोस्टर पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस बैठक और नीतीश कुमार के “चाणक्य” वाले पोस्टर पर राजनीतिक दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। बिहार में प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने इसे महज चुनावी प्रचार का एक हिस्सा करार दिया है। वही विपक्ष का कहना है कि जदयू इस समय राजनीतिक अस्तित्व बचाने की कोशिश कर रही है और इस तरह के प्रचार से उसे ज्यादा फायदा नहीं होगा। पटना में 5 अक्टूबर को होने वाली जदयू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना साबित हो सकती है। नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए यह बैठक न केवल आगामी चुनावों की रणनीति तय करने का अवसर है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि पार्टी अपने भविष्य के राजनीतिक पथ पर किस तरह से आगे बढ़ेगी। इस बैठक के बाद आने वाले दिनों में बिहार की सियासत और भी गरमाने की संभावना है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बैठक के फैसले किस दिशा में पार्टी को ले जाते हैं।