मसौढ़ी के स्कूल में मिड-डे मील में अनियमितता, कच्चा चावल मिलने पर बीडीओ ने जताई कड़ी नाराजगी
पटना। बिहार सरकार बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रही है, जिसमें मिड-डे मील (मध्याह्न भोजन) योजना भी शामिल है। इस योजना का उद्देश्य न केवल बच्चों की कक्षा में उपस्थिति बढ़ाना है, बल्कि उनकी पोषण आवश्यकताओं को भी पूरा करना है। हालांकि, इस योजना के कार्यान्वयन में कई जगहों पर अनियमितताएँ सामने आ रही हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में बिहार के मसौढ़ी प्रखंड के मध्य विद्यालय हंसाडीह में देखने को मिला, जहाँ बच्चों ने मिड-डे मील में कच्चा चावल परोसे जाने की शिकायत की। घटना शनिवार को हुई जब मसौढ़ी के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) प्रभाकर कुमार ने हंसाडीह के मध्य विद्यालय का निरीक्षण किया। उन्हें शिकायत मिली थी कि बच्चों को मिड-डे मील के तहत अधपका खाना दिया जा रहा है। बीडीओ ने तुरंत कार्रवाई करते हुए स्कूल का दौरा किया और बच्चों से सीधे बातचीत की। बच्चों ने बताया कि उन्हें अधपका चावल परोसा गया और भोजन में स्वाद का भी अभाव था। इस शिकायत पर बीडीओ ने तत्काल स्कूल की प्रधानाध्यापिका पुष्पा कुमारी को कड़ी फटकार लगाई और भविष्य में ऐसी लापरवाही को बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी। मिड-डे मील योजना का उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है, ताकि बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहे और उनकी शैक्षिक प्रगति बेहतर हो। लेकिन इस योजना के संचालन में अक्सर लापरवाही देखने को मिलती है, खासकर ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में। बच्चों के द्वारा की गई शिकायतें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि ज़मीनी स्तर पर इस योजना का कार्यान्वयन सही ढंग से नहीं हो रहा है। बीडीओ प्रभाकर कुमार ने निरीक्षण के दौरान पाया कि स्कूल प्रशासन मिड-डे मील योजना को सही तरीके से लागू नहीं कर रहा था। अधपका खाना परोसना बच्चों की सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है, और यह स्कूल की लापरवाही को दर्शाता है। बीडीओ ने प्रधानाध्यापिका को न केवल कड़ी चेतावनी दी, बल्कि साफ-सफाई और विद्यालय परिसर की देखरेख को लेकर भी सख्त निर्देश दिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बच्चों की सेहत से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और भविष्य में इस तरह की लापरवाही पाई जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मध्याह्न भोजन में अनियमितता की समस्या केवल मसौढ़ी तक सीमित नहीं है। बिहार के कई अन्य इलाकों से भी इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि इस योजना में सुधार की ज़रूरत है। हालांकि सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, लेकिन उनके उचित क्रियान्वयन में अब भी कई चुनौतियाँ हैं। प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा किए गए इस निरीक्षण से यह स्पष्ट है कि सरकार इस तरह की अनियमितताओं को गंभीरता से ले रही है और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सख्त कदम उठा रही है। हालांकि, यह भी आवश्यक है कि इस तरह के निरीक्षण और सुधारात्मक कदम नियमित रूप से उठाए जाएँ ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पोषण मिल सके। इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। मिड-डे मील जैसी योजनाओं का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब प्रशासन और स्कूल दोनों अपनी ज़िम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाएँ। बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए। प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रभाकर कुमार द्वारा की गई इस कार्रवाई से उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाहियों पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन और शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।