बाजारों में चावल, दाल और आटा की सप्लाई कम होने से पटनावासियों को महंगाई का झटका, कीमतों में हुई बढ़ोतरी
पटना। गैर ब्रांडेड खाद्य सामान पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगने के पहले पटना के बाजार में हलचल दिख रही है। जीएसटी के पहले बाजार में खाद्य पदार्थों की आवक 75 प्रतिशत तक कम हो गई है। जिसके बाद बाजार से जुड़े कारोबारी कहते हैं कि गोदामों में मौजूद माल को बड़े कारोबारी फिलहाल निकालने में लगे हैं। बिहार राज्य खाद्यान्न व्यवसायी संघ के मंत्री ब्रजेश कुमार कहते हैं कि थोक कारोबारी नया माल मंगाने के लिए 18 जुलाई का इंतजार कर रहे हैं। व्यवसायी संघ के महामंत्री नवीन कुमार ने बताया कि पटना की थोक मंडियों में आटा दो सौ टन प्रतिदिन आता था जो घटकर बमुश्किल 50 टन रह गया है। कई छोटे ब्रांड के आटा के पैकैट ढूंढ़ने पर भी नहीं मिल रहे हैं। इसी तरह दाल की आवक भी प्रभावित हुई है। मंसूरगंज मंडी में जहां प्रतिदिन बीस ट्रक (25 टन/ट्रक) दाल की आवक थी, वहां अभी 5 ट्रक दाल भी नहीं पहुंच रही है। मंडी के अजय कुमार कहते हैं कि 18 जुलाई के बाद उन्हें बचे हुए माल पर जीएसटी भरना होगा। इसलिए बड़े कारोबारी अपने गोदाम में मौजूद दाल को निकालने में लगे हैं। पटना की मंडियों में चावल की आवक भी बुरी तरह प्रभावित है। बताया जा रहा हैं की जीएसटी लगने के पहले मंडियों में चावल की आवक प्रभावित है। चावल मिल से मंडियों के व्यापारियों को आपूर्ति नहीं हो रही है। धान महंगा होने की बात मिल मालिक कह रहे हैं। आवक कम होने से थोक मंडियों में ही चावल बढ़ी दर पर पहुंच रहा है। बोरा में पांच सौ रुपये तक का इजाफा हो गया है।
गैर ब्रांडेड खाद्य सामग्री पर जीएसटी लगने के पहले ही महंगाई की मार
पटना में गैर ब्रांड वाले खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगने की घोषणा के बाद से ही पटनावासियों को महंगाई का झटका लगने लगा है। चूड़ा, मुरही, फरही आदि की कीमत में बीते दस दिनों से पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। जिसके बाद दुकानों में आटा, चावल और दाल महंगे हो गये हैं। चावल की कीमत में दो से पांच रुपये किलोग्राम व दाल पांच रुपये प्रति किलो तक महंगी हो गई है। वहीं आटा की कीमत में भी दो रुपये का इजाफा हुआ है। आटा अब 30 रुपये किलो व सूजी 37 रुपये किलो तक बिकने लगी है। वही जीएसटी के अलावा बांग्लादेश द्वारा आयात शुल्क कम करने से भी चावल की कीमत बढ़ी है।