December 22, 2024

निमोनिया से बचाव के लिए भारत की स्वदेशी एंटीबायोटिक दवा तैयार, वयस्कों के लिए जल्द होगी उपलब्ध

नई दिल्ली। भारत ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए निमोनिया जैसी घातक बीमारी के खिलाफ एक प्रभावी और स्वदेशी एंटीबायोटिक दवा विकसित की है। यह दवा, जिसे मिकनाफ (नेफिथ्रोमाइसिन) नाम दिया गया है, समुदाय-अधिग्रहित बैक्टीरियल के उपचार में उपयोगी सिद्ध हुई है। निमोनिया एक सामान्य लेकिन गंभीर संक्रमण है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण होता है। निमोनिया विशेष रूप से बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए घातक साबित होता है। हर साल दुनियाभर में निमोनिया के कारण लाखों मौतें होती हैं, जिनमें से 23% मौतें भारत में होती हैं। भारत में इस बीमारी की मृत्यु दर 14% से 30% के बीच है। निमोनिया के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया हैं, जो पारंपरिक एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके हैं। यह समस्या भारत सहित पूरे विश्व में चिंता का विषय है। मिकनाफ, जिसे नेफिथ्रोमाइसिन के नाम से भी जाना जाता है, सीएबीपी के इलाज के लिए एक नई आशा लेकर आया है। यह दवा विशेष रूप से वयस्क रोगियों के लिए बनाई गई है और इसके उपयोग से निमोनिया को केवल तीन दिनों में नियंत्रित किया जा सकता है। प्रत्येक दिन एक खुराक, तीन दिनों तक दी जाती है, जो इसके उपयोग को सरल और प्रभावी बनाती है। मिकनाफ के विकास में 15 वर्षों का समय लगा। इस दौरान इस दवा पर कई नैदानिक परीक्षण किए गए। इन परीक्षणों का आयोजन अमेरिका और यूरोप में किया गया, जहां इसके प्रभाव और सुरक्षा का अध्ययन किया गया। यह परीक्षण हाल ही में भारत में पूरा हुआ, जिसमें यह साबित हुआ कि मिकनाफ सीएबीपी के इलाज में अत्यधिक प्रभावी है, यहां तक कि एमडीआर संक्रमण वाले रोगियों के लिए भी। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विशेषज्ञ समिति ने इस दवा के क्लिनिकल परीक्षण परिणामों की समीक्षा के बाद वयस्कों में इसके उपयोग की सिफारिश की है। जल्द ही इसे वाणिज्यिक उपयोग के लिए जारी किया जाएगा। केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने इस दवा को भारत की एक बड़ी चिकित्सा उपलब्धि के रूप में मान्यता दी है। मिकनाफ निमोनिया के उपचार के लिए एक आसान और त्वरित समाधान प्रदान करता है। दिन में केवल एक खुराक, तीन दिनों तक। यह दवा MDR बैक्टीरिया से संक्रमित मरीजों पर भी कारगर है, जो अन्य एंटीबायोटिक्स के लिए चुनौती बनते हैं। यह दवा पूरी तरह से स्वदेशी है, जिससे इसका उत्पादन और वितरण सस्ता होगा, और यह निम्न-आय वर्ग के मरीजों के लिए भी सुलभहोगी। अमेरिका और यूरोप में परीक्षणों के बाद यह दवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। निमोनिया से भारत में हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं, खासकर बुजुर्ग। मिकनाफ जैसी दवा न केवल मृत्यु दर को कम करेगी, बल्कि भारत को चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार में आत्मनिर्भर भी बनाएगी। यह दवा भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्वास्थ्य भारत’ मिशन को भी सशक्त बनाएगी। मिकनाफ (नेफिथ्रोमाइसिन) का विकास भारत के चिकित्सा इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दवा न केवल निमोनिया के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करेगी, बल्कि मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट संक्रमणों के इलाज में भी क्रांति लाएगी। इसके लॉन्च के बाद, यह दवा भारत सहित पूरी दुनिया में स्वास्थ्य सेवा की दिशा बदल सकती है। सरकार और वैज्ञानिकों के इस प्रयास से लाखों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी और भारत चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।

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