पटना के परीक्षा केंद्र में परीक्षार्थियों की एंट्री नहीं मिलने पर जमकर हंगामा, पुलिस ने बल प्रयोग कर स्टूडेंट्स को हटाया

पटना। राजधानी के रविन्द्र बालिका उच्च विद्यालय में आयोजित परीक्षा में देर से पहुंचे परीक्षार्थियों को प्रवेश नहीं मिला, जिससे परीक्षार्थियों में आक्रोश फैल गया। नाराज परीक्षार्थियों ने दिनकर गोलंबर के पास सड़क जाम कर दी और आगजनी कर प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे यातायात घंटों तक प्रभावित रहा। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कदमकुआं थाने की पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और परीक्षार्थियों को सड़क से हटाया गया। परीक्षार्थियों ने बताया कि वे सुबह 9:03 बजे परीक्षा केंद्र पर पहुंचे थे, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। मात्र 3 मिनट की देरी के कारण उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया गया। जब उन्होंने गेट पर प्रवेश करने का प्रयास किया, तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने उनके एडमिट कार्ड फाड़ने और मारने की धमकी दी। छात्राओं का कहना था कि परीक्षा का सत्र भी लेट हो गया था, इसलिए यह निर्णय अन्यायपूर्ण है। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ दिया। कदमकुआं थाने के थानेदार राजीव कुमार ने बताया कि छात्र देर से पहुंचे थे और जबरन परीक्षा केंद्र में प्रवेश करना चाहते थे, जो संभव नहीं था। पुलिसकर्मी पिंकी कुमारी ने कहा कि छात्राएं लगभग 10 मिनट की देरी से पहुंची थीं और प्रवेश की मांग कर रही थीं। इसके बाद उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया। शनिवार से BBOSS की परीक्षा शुरू हुई थी और प्रथम पाली में हिन्दी विषय की परीक्षा थी। इस हंगामे के कारण यातायात व्यवस्था पूरी तरह बाधित हो गई थी। पुलिस ने बल प्रयोग कर स्थिति को संभाला और परीक्षार्थियों को हटाया। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना था कि उन्हें केवल कुछ मिनटों की देरी के लिए परीक्षा से वंचित किया गया, जो उनके भविष्य के साथ अन्याय है। इस घटना से संबंधित अन्य अधिकारियों ने बताया कि परीक्षा में समय का पालन आवश्यक है और देर से पहुंचने वाले छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि छात्रों को समय पर परीक्षा केंद्र पहुंचने की आदत डालनी चाहिए ताकि इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि परीक्षा के नियमों का पालन आवश्यक है और छात्रों को समय पर परीक्षा केंद्र पहुंचना चाहिए। हालांकि, इस तरह की घटनाएं परीक्षा प्रशासन और छात्रों के बीच बेहतर संवाद और समझ की आवश्यकता को भी उजागर करती हैं ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।
