पीपीयू में शिक्षकों की भारी कमी, कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में अभाव के कारण एलएलबी कोर्स की मान्यता खत्म

  • 2012 में सरकार ने शिक्षक के पदों को किया खत्म, कॉलेज में बहाली भी नहीं, गरीब छात्रों की परेशानी बढ़ी

पटना। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में 60 वर्षों से चल रही एलएलबी की पढ़ाई की मान्यता अब समाप्त हो गई है। एक समय कॉलेज की बड़ी साख थी, लेकिन अब न तो कोई शिक्षक बचे हैं और न ही शिक्षक के कोई पद। इसका सीधा नुकसान उन गरीब छात्रों को हो रहा है, जो कम खर्चे में सरकारी कॉलेज में लॉ की पढ़ाई कर सकते थे। प्राइवेट कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की फीस बहुत ज्यादा होती है। पहले यहां कुल 12 लॉ के शिक्षक हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ सभी रिटायर हो गए। पिछले वर्ष अंतिम शिक्षक भी रिटायर हो गए। 2012 में सरकार द्वारा कॉलेज शिक्षकों के पदों के रेशनलाइजेशन के दौरान इंटर के साथ लॉ शिक्षकों के पदों को भी समाप्त कर दिया गया था। कॉलेज ऑफ कॉमर्स में नैक के समन्वयक और शिक्षक संतोष कुमार बताते हैं कि इस कॉलेज से अब तक 5,000 से अधिक छात्र पढ़कर निकल चुके हैं, जिनमें कई बड़े वकील और जज शामिल हैं। राजधानी में केवल दो ही सरकारी कॉलेज हैं जहां एलएलबी की पढ़ाई होती है – पटना लॉ कॉलेज और कॉलेज ऑफ कॉमर्स। बार काउंसिल ने नियम सख्त कर दिए हैं, जिसके तहत इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ शिक्षकों की पर्याप्त संख्या होनी जरूरी है। यही वजह है कि पिछले वर्ष यहां सीटें भी कम कर दी गई थीं। पटना लॉ कॉलेज में 300 सीटों को घटाकर 120 और कॉलेज ऑफ कॉमर्स में 120 सीटों को घटाकर 60 कर दिया गया था। रेशनलाइजेशन के दौरान कॉलेज के लॉ की सीटें 12 वर्ष पहले समाप्त कर दी गई थीं। अंतिम शिक्षक के रिटायर होने के बाद कॉलेज में एक भी सीट नहीं बची थी, लेकिन इसकी सूचना समय पर नहीं दी गई। कॉलेज से स्पष्टीकरण मांगा गया है और लॉ शिक्षकों के पदों के सृजन के लिए सरकार से प्रयास किए जाएंगे, ताकि मान्यता बहाल हो सके। कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़े छात्रों में से कई बड़े वकील और जज बने हैं। कॉलेज में आयोजित पूर्ववर्ती छात्र सम्मेलन में वे अक्सर आते भी हैं। सरकारी कॉलेज में लॉ की पढ़ाई की व्यवस्था न होने से गरीब छात्रों को प्राइवेट कॉलेज की महंगी फीस का सामना करना पड़ता है। शिक्षकों की कमी के कारण कॉलेज की मान्यता खत्म होना छात्रों के लिए बड़ी समस्या है। सरकार से अपेक्षा है कि जल्द ही लॉ शिक्षकों के पद सृजित किए जाएं, ताकि कॉलेज में फिर से पढ़ाई शुरू हो सके और छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो।

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