January 15, 2025

सहनी ने फिर महागठबंधन छोड़ने के लिए संकेत, डीपी में तिरंगा लगाकर एनडीए की ओर किया इशारा

पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने महागठबंधन से अलग होने के संकेत दिए हैं। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर तिरंगे की डीपी (डिस्प्ले पिक्चर) लगाकर इस अटकल को और भी मजबूत कर दिया है कि वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर रुख कर सकते हैं। मुकेश सहनी का यह कदम तब सामने आया है जब बिहार की राजनीतिक स्थिति पहले से ही काफी अस्थिर है। महागठबंधन में शामिल दलों के बीच मतभेद और असहमति की खबरें अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। ऐसे में सहनी के इस संकेत ने बिहार की राजनीतिक हलकों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। तिरंगा डीपी लगाने का उनका फैसला प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। तिरंगा डीपी लगाना अक्सर देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इस संदर्भ में इसे एक राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सहनी इस कदम के माध्यम से महागठबंधन से असंतोष जताते हुए एनडीए में शामिल होने की संभावना को व्यक्त कर रहे हैं। मुकेश सहनी का महागठबंधन में पहले से ही असंतोष का इतिहास रहा है। वे कई बार गठबंधन के भीतर अपने असंतोष को खुलकर व्यक्त कर चुके हैं, चाहे वह सीटों के बंटवारे को लेकर हो या फिर पार्टी की अनदेखी का मामला। इससे पहले भी सहनी ने कई बार सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की थी, जिससे महागठबंधन के भीतर दरार की खबरें जोर पकड़ने लगी थीं।
बीजेपी के तिरंगा अभियान की अपील का असर
बीजेपी पूरे देश में अभी ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चला रही है। बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने अपनी प्रोफाइल तस्वीर हटाकर तिरंगा लगा लिया है। अब मुकेश सहनी ने भी अपनी तस्वीर हटाकर तिरंगे को प्रोफाइल बनाया है। इससे इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि मुकेश सहनी भी बीजेपी के नेताओं से प्रभावित होकर ही हर घर तिरंगा अभियान में शामिल हुए हैं। सहनी की पार्टी वीआईपी का बिहार में खासा प्रभाव है, खासकर निषाद समुदाय के बीच। उनकी राजनीतिक महत्ता को देखते हुए, एनडीए भी उन्हें अपने खेमे में शामिल करने की कोशिश कर सकता है। इसके अलावा, एनडीए में वापसी की संभावना को लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं। सहनी पहले भी एनडीए के साथ जुड़े रहे हैं और ऐसे में उनकी वापसी को एक बड़ी राजनीतिक घटना के रूप में देखा जा सकता है। महागठबंधन के नेताओं ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस मामले पर गहरी नजर रखी जा रही है। अगर सहनी महागठबंधन छोड़ते हैं तो यह गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि इससे गठबंधन के भीतर पहले से ही मौजूद मतभेद और बढ़ सकते हैं। इस राजनीतिक घटनाक्रम पर बिहार के राजनीतिक विश्लेषक भी नजरें गड़ाए हुए हैं। सहनी का महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल होना बिहार की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सहनी अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में क्या फैसला करते हैं। क्या वे सचमुच महागठबंधन से अलग होकर एनडीए का दामन थामेंगे, या फिर यह महज एक राजनीतिक दांव है? सहनी के इस कदम ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है और अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि वे अपने अगले कदम के तौर पर क्या निर्णय लेते हैं।

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